जिले में प्रशासनिक शून्यता, योजनाएं और कानून-व्यवस्था दोनों होगी प्रभावित
कलेक्टर के तबादले और एसपी पद की रिक्तता से झुंझुनूं में प्रशासनिक असंतुलन
झुंझुनूं। राजस्थान प्रशासनिक सेवा में हुए बड़े फेरबदल के बाद झुंझुनूं जिला प्रशासनिक नेतृत्वविहीन हो गया है। कलेक्टर रामावतार मीणा का तबादला जयपुर में विभागीय जांच निदेशक पद पर कर दिया गया है, लेकिन उनकी स्थानापन्न नियुक्ति अब तक नहीं हुई है।
40 दिनों से खाली है एसपी का पद
इससे भी अधिक गंभीर बात यह है कि जिले में पुलिस अधीक्षक (SP) का पद 13 मई 2025 से रिक्त पड़ा है। तत्कालीन एसपी शरद चौधरी को एपीओ किया गया था, और उनके स्थान पर लोकेश सोनवाल की नियुक्ति की गई, लेकिन उन्हें मौखिक आदेशों से जॉइन करने से रोक दिया गया।
इस निर्णय के बाद से जिले में कानून व्यवस्था की निगरानी करने वाला कोई शीर्ष पुलिस अधिकारी नहीं है।
एक साथ दोनों प्रमुख पद खाली
यह पहली बार है जब झुंझुनूं जैसे महत्वपूर्ण जिले में कलेक्टर और एसपी दोनों पद एक साथ खाली हैं। यह स्थिति विकास योजनाओं की प्रगति, कानून व्यवस्था और प्रशासनिक निगरानी पर प्रतिकूल असर डाल सकती है।
कार्यभार ग्रहण की उलझन
हालांकि रामावतार मीणा अभी तक औपचारिक रूप से कार्यमुक्त नहीं हुए हैं, लेकिन जैसे ही वे जयपुर में कार्यभार संभालते हैं, जिला प्रशासन पूर्णत: नेतृत्वहीन हो जाएगा।
तबादला सूची में भ्रम की स्थिति
तबादला सूची में आईएएस अभिषेक ढाका को भी विभागीय जांच निदेशक बनाया गया है, जो पहले से ही रामावतार मीणा को सौंपा गया पद है। इससे स्पष्ट होता है कि सूची में संशोधन संभव है, जिससे प्रशासनिक असमंजस और गहराता जा रहा है।
जनता और अफसरों में बेचैनी
जिले में दो शीर्ष पदों के रिक्त रहने से जनता में भ्रम और असुरक्षा की भावना है, वहीं अधिकारियों में भी बेचैनी है। प्रशासनिक फैसले, योजनाओं की निगरानी, और फील्ड विजिट्स फिलहाल ठप हो सकते हैं।
