सूरजगढ़। राष्ट्रीय साहित्यिक, सांस्कृतिक व सामाजिक संस्थान आदर्श समाज समिति इंडिया के अध्यक्ष और लेखक धर्मपाल गांधी के नेतृत्व में एक दल ने दो दिवसीय पंजाब दौरे के दौरान स्वतंत्रता संग्राम से जुड़े कई ऐतिहासिक स्थलों का अवलोकन किया।
इस दौरे में सरपंच मंजू तंवर, शिक्षाविद् मनजीत सिंह तंवर, उपसरपंच राकेश कुमार और सुनील गांधी सहित कई सामाजिक कार्यकर्ता शामिल रहे।
हुसैनीवाला शहीद स्मारक पर शहीदों को नमन
टीम ने सबसे पहले भारत-पाक सीमा पर स्थित हुसैनीवाला राष्ट्रीय शहीद स्मारक पहुंचकर शहीद-ए-आजम भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव को श्रद्धांजलि दी।
सरपंच मंजू तंवर ने बताया कि 23 मार्च 1931 को फांसी के बाद ब्रिटिश हुकूमत ने तीनों क्रांतिकारियों के शवों को रात के अंधेरे में यहां दफनाया था।
शिक्षाविद् मनजीत सिंह तंवर ने कहा,
“हुसैनीवाला की यह भूमि हमारे लिए सबसे बड़ा तीर्थ स्थल है, जहां क्रांतिवीरों की गाथा अमर है।”
1968 में भारत सरकार ने यहां शहीदों के सम्मान में राष्ट्रीय स्मारक का निर्माण कराया।
लेखक धर्मपाल गांधी ने साझा किए विचार
धर्मपाल गांधी ने बताया कि यह यात्रा सरपंच मंजू तंवर के नेतृत्व और साथियों के सहयोग से सफल रही।
उन्होंने कहा कि मंजू तंवर एक शिक्षित और क्रांतिकारी महिला हैं, जिनके विचार भगत सिंह से प्रेरित हैं।
यात्रा के दौरान टीम ने स्वतंत्रता संग्राम और विभाजन काल से जुड़ी अनेक ऐतिहासिक जानकारियां जुटाईं, जिन्हें गांधी अपनी आगामी पुस्तक में शामिल करेंगे।
जलियांवाला बाग का भावनात्मक अनुभव
टीम ने अमृतसर स्थित जलियांवाला बाग का भी अवलोकन किया,
जहां 13 अप्रैल 1919 को ब्रिटिश सेना ने निहत्थे भारतीयों पर गोलीबारी की थी।
दीवारों पर आज भी गोलियों के निशान मौजूद हैं।
गांधी ने कहा कि यह स्थल हमें असहयोग आंदोलन की प्रेरणा का स्रोत याद दिलाता है।
अटारी-वाघा बॉर्डर और “बीटिंग रिट्रीट”
धर्मपाल गांधी की टीम ने अटारी-वाघा बॉर्डर पर “बीटिंग रिट्रीट” समारोह भी देखा,
जहां भारत और पाकिस्तान के सैनिक एक साथ देशभक्ति का प्रदर्शन करते हैं।
सुधार की अपील
गांधी ने बताया कि कुछ ऐतिहासिक स्थलों पर स्वच्छता और व्यवस्था की कमी देखने को मिली।
उन्होंने कहा कि इस संबंध में पंजाब सरकार और भारत सरकार को पत्र भेजा जाएगा।
देशभक्ति का संदेश
धर्मपाल गांधी ने कहा —
“हर भारतीय देशभक्त है, पर हमें अपने शहीदों के प्रति सच्चा सम्मान दिखाना होगा।
धार्मिक यात्राओं के साथ-साथ स्वतंत्रता सेनानियों के स्मारकों का भी भ्रमण करें,
ताकि नई पीढ़ी को इतिहास का सही ज्ञान मिल सके।”