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डॉक्टर्स डे 2025: मास्क के पीछे भी एक इंसान है

Doctors Day celebrated in Jhunjhunu, theme focuses on mental health

नेशनल डॉक्टर्स डे पर विशेष: ये सफेद कोट वाले, कहां से इतनी हिम्मत लाते हैं ? मौत से भी लड़ जाते है

झुंझुनूं / जयपुर, हर साल की तरह इस बार भी नेशनल डॉक्टर्स डे पर सफेद कोट पहनने वाले उन नायकों को सलाम किया गया जो हर आपदा, महामारी और आपातकाल में हमारे साथ खड़े रहते हैं।

थीम 2025: ‘Behind the Mask: Who Heals the Healers?’

इस थीम के माध्यम से इस बात पर ज़ोर दिया गया है कि जो डॉक्टर दिन-रात हमारी चिंता करते हैं, वे खुद किसके सहारे जीते हैं? अक्सर डॉक्टर अपनी भावनात्मक और मानसिक सेहत को अनदेखा करते हैं।
यह संदेश देता है कि अब वक्त है उन्हें भी सहारा देने का—चाहे वह पारिवारिक समर्थन हो, नीतिगत बदलाव या मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं की पहुंच।


डॉक्टर्स डे का इतिहास

यह दिन प्रख्यात चिकित्सक व पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. बिधान चंद्र रॉय की जयंती व पुण्यतिथि पर मनाया जाता है।
उन्होंने भारतीय चिकित्सा शिक्षा, संस्थाओं और पब्लिक हेल्थ में अतुलनीय योगदान दिया।
उनके सम्मान में ही भारत सरकार ने 1991 में 1 जुलाई को राष्ट्रीय चिकित्सक दिवस के रूप में घोषित किया।


कोविड-19 ने दिखाई डॉक्टरों की असली परीक्षा

कोरोना महामारी के दौरान डॉक्टरों ने घर-परिवार छोड़, अपनी जान जोखिम में डालकर लाखों लोगों की जिंदगी बचाई।
उन्होंने न केवल चिकित्सा दी, बल्कि मानसिक संबल भी दिया।
आज भी गांवों से लेकर महानगरों तक, OPD से लेकर ICU तक, डॉक्टर हर मोर्चे पर डटे हुए हैं।


समाज क्या कर सकता है?

  • डॉक्टरों के प्रति सम्मान और संवेदनशीलता रखें।
  • मानसिक स्वास्थ्य सेवाएं डॉक्टरों के लिए भी उपलब्ध कराएं।
  • डॉक्टर्स की निजी जिंदगी, कार्यघंटों और पारिवारिक जिम्मेदारियों को समझें।

चिकित्सकों के लिए संदेश

डॉक्टर सिर्फ इलाज करने वाले नहीं, वो खुद भी इंसान हैं—जिन्हें विश्राम, देखभाल और समर्थन की जरूरत होती है।
हमें न केवल उनका धन्यवाद करना चाहिए, बल्कि उन्हें एक मजबूत सामाजिक, भावनात्मक और संस्थागत सहारा देना चाहिए।