झुंझुनूं। जिले के कलेक्ट्रेट भवन में स्थापित 21 लाख रुपये की नई लिफ्ट तकनीकी खराबी के कारण बीच में अटक गई। इस दौरान लिफ्ट के भीतर एक पत्रकार करीब 20 मिनट तक फंसा रहा, जिससे कलेक्ट्रेट में लापरवाही और व्यवस्थाओं की पोल खुल गई।
प्रभारी मंत्री की बैठक के दौरान हुआ हादसा
पत्रकार प्रभारी मंत्री अविनाश गहलोत की बैठक की कवरेज के लिए कलेक्ट्रेट पहुंचा था। जैसे ही वह प्रथम मंजिल पर जाने के लिए लिफ्ट में चढ़ा, कुछ ही सेकंड बाद लिफ्ट बीच में रुक गई और दरवाजे बंद हो गए।
सायरन बजा, लेकिन नहीं हुई सुनवाई
पत्रकार ने सायरन बजाकर कई बार मदद की गुहार लगाई, लेकिन आसपास कोई कर्मचारी मौजूद नहीं था। परिवादियों के लिए बनी हेल्प डेस्क भी खाली मिली—केवल बैनर टंगा हुआ था, न डेस्क और न ही कोई कर्मचारी।
वकील की तत्परता से मिली राहत
करीब 20 मिनट बाद एक वकील ने सायरन की आवाज सुनी और ऊपर पहुंचकर लिफ्ट का दरवाजा खोलने में मदद की। इसके बाद पत्रकार को बाहर निकाला गया।
नगर परिषद पर सवाल
बता दें कि यह लिफ्ट नगर परिषद द्वारा ₹20.94 लाख की लागत से लगाई गई थी और इसका उपयोग केवल प्रथम मंजिल के लिए किया जा रहा है। लेकिन, इतने महंगे उपकरण की तकनीकी निगरानी और रखरखाव पूरी तरह लापरवाह नजर आया।
प्रशासन से जवाबदेही की मांग
स्थानीय नागरिकों और पत्रकार संगठनों ने इस घटना पर नाराजगी जताते हुए कहा कि यदि समय पर मदद नहीं मिलती, तो जान का खतरा भी हो सकता था।

लिफ्ट का सायरन बजाने के बावजूद नहीं ली किसी कर्मचारी ने सुध