दूसरे दिन भी न्यायालय में कार्य बहिष्कार, कलेक्ट्रेट बना विरोध का केंद्र
झुंझुनूं में वकीलों का आंदोलन जारी
झुंझुनूं। बगड़ थाने में अधिवक्ता से मारपीट और गिरफ्तारी के विरोध में जिला अभिभाषक संस्था का आक्रोश लगातार बढ़ रहा है।
मंगलवार से शुरू हुआ अनिश्चितकालीन धरना बुधवार को भी कलेक्ट्रेट परिसर में जारी रहा।
घटना से उपजा विवाद
जानकारी के अनुसार, वृंदावन मेले में पार्किंग विवाद को लेकर पुलिस और अधिवक्ता सुरेंद्र कुमावत के बीच कहासुनी हो गई थी।
वकीलों का आरोप है कि मामूली विवाद पर पुलिसकर्मियों ने न केवल मारपीट की बल्कि उन्हें शांतिभंग में गिरफ्तार कर थाने में बंद कर दिया।
इसी घटना से वकीलों में रोष व्याप्त हो गया।
कलेक्ट्रेट बना विरोध का केंद्र
बुधवार को भी सैकड़ों अधिवक्ता बैनर और तख्तियों के साथ कलेक्ट्रेट पहुंचे और पुलिस प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी की।
उनका कहना था कि अधिवक्ता से मारपीट लोकतांत्रिक अधिकारों और गरिमा का हनन है।
न्यायालय का कार्य प्रभावित
धरने के चलते जिला न्यायालय में बुधवार को भी सभी अधिवक्ताओं ने कार्य का बहिष्कार किया।
सुबह से ही अदालत परिसर में सन्नाटा रहा और पक्षकारों को अपने मामलों के निस्तारण में परेशानी उठानी पड़ी।
अधिवक्ताओं की मांग
जिला अभिभाषक संघ के अध्यक्ष सुभाष पूनिया ने कहा कि आंदोलन व्यक्तिगत नहीं है बल्कि पूरे अधिवक्ता समाज की गरिमा की लड़ाई है।
सचिव पवन कुमार ने कहा कि जब तक दोषी पुलिसकर्मियों पर एफआईआर दर्ज और निलंबन नहीं होता, धरना जारी रहेगा।
पुलिस-प्रशासन से वार्ता असफल
वकीलों ने बताया कि जिला प्रशासन और पुलिस अधिकारियों से वार्ता की कोशिश हुई, लेकिन अब तक कोई ठोस आश्वासन नहीं मिला।
इस कारण आंदोलन और तेज किया जाएगा।
धरने में जिला अभिभाषक संस्था के अध्यक्ष सुभाष पूनिया, सचिव पवन कुमार, वरिष्ठ अधिवक्ता बिरजू सिंह शेखावत, एडवोकेट फारूक हुसैन, जहीर फारूकी, द्वारका प्रसाद, राजकुमार सैनी, अलीशेर खान, अशोक महला, एडवोकेट कुर्बान, कैलाश कल्याण, संदीप सैनी, राजेश खेदड़, ओमप्रकाश कुमावत, शाकिब अली, रतन मोरवाल, मोहम्मद रफीक, अमित शर्मा, शब्बीर खान, विजय ओला, अनूप गिल सहित बड़ी संख्या में अधिवक्ता मौजूद रहे।