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Jhunjhunu News: ऑपरेशन में लापरवाही: नवलगढ़ हॉस्पिटल पर ₹6.50 लाख जुर्माना

Nawalgarh eye hospital fined for medical negligence causing vision loss

आयोग ने कहा – आंख प्रकृति का अनमोल उपहार, चिकित्सक को बरतनी चाहिए पूरी सावधानी

मोतियाबिंद ऑपरेशन में लापरवाही साबित, मरीज के पक्ष में ऐतिहासिक फैसला

झुंझुनूं, जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग झुंझुनूं ने एक ऐतिहासिक निर्णय देते हुए सेठ आनंदराम जयपुरिया नेत्र हॉस्पिटल, नवलगढ़ और चिकित्सक डॉ. ईसरत सदानी को मरीज की आंख की रोशनी जाने के मामले में दोषी पाया है।

आयोग ने आदेश दिया है कि दोनों प्रतिवादी 45 दिनों के भीतर ₹6.50 लाख का मुआवजा मरीज को अदा करें, साथ ही 27 जनवरी 2015 से अदायगी की तारीख तक 6% वार्षिक ब्याज भी दिया जाए।


“आंख प्रकृति का अनमोल उपहार” — आयोग की टिप्पणी

आयोग के अध्यक्ष मनोज कुमार मील और सदस्य प्रमेंद्र कुमार सैनी की पीठ ने फैसले में कहा –

“प्रकृति ने सभी प्राणियों को दो आंखें दी हैं, जिनका अपना अलग महत्व है। जब कोई व्यक्ति चिकित्सक के पास आता है, तो वह उसी आस्था से विश्वास करता है, जैसे ईश्वर या सूर्य पर।”

आयोग ने स्पष्ट किया कि यह मामला ‘परिस्थितियां स्वयं बोलती हैं’ (Res Ipsa Loquitur) सिद्धांत के अंतर्गत आता है, जो चिकित्सकीय लापरवाही साबित करने की स्थापित अवधारणा है।


2012 में हुआ था ऑपरेशन, तीन माह में गई आंख की रोशनी

लक्ष्मणगढ़ (सीकर) निवासी श्रीराम पुत्र नरायणराम ने वर्ष 2012 में नवलगढ़ स्थित जयपुरिया नेत्र हॉस्पिटल में मोतियाबिंद का ऑपरेशन करवाया था।

ऑपरेशन के बाद मरीज को तेज दर्द, सूजन और नजर धुंधली पड़ने की शिकायत रही।
तीन महीने तक इलाज चलने के बावजूद कोई सुधार नहीं हुआ।
आखिरकार, जब मरीज ने एसएमएस अस्पताल जयपुर में विशेषज्ञों से जांच करवाई, तो बताया गया कि आंख में लैंस गलत तरीके से लगाया गया है।


अस्पताल के तर्क खारिज, आयोग ने माना चिकित्सकीय ‘सेवादोष’

अस्पताल ने बचाव में कहा कि चिकित्सक को 500 से अधिक ग्लूकोमा सर्जरी और हजारों मोतियाबिंद ऑपरेशन का अनुभव है, और मरीज की गलती से नुकसान हुआ।

लेकिन आयोग ने दस्तावेजों और रिकॉर्ड के परीक्षण के बाद इन दावों को खारिज कर दिया।
फैसले में कहा गया कि मरीज ने ऑपरेशन के बाद बार-बार उसी चिकित्सक से जांच करवाई, और अस्पताल ने अपनी ओर से कोई ठोस साक्ष्य या निर्देश प्रस्तुत नहीं किए।


आयोग की कड़ी टिप्पणी: चिकित्सक की जिम्मेदारी सर्वोच्च

आयोग ने कहा –

“मरीज का उपचार विश्वास पर आधारित होता है। चिकित्सक पर यह नैतिक और कानूनी दायित्व है कि वह पूर्ण सावधानी बरते।”

फैसले को चिकित्सकीय जवाबदेही और उपभोक्ता अधिकारों की दृष्टि से झुंझुनूं जिले में एक मिसाल माना जा रहा है।