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Jhunjhunu News: प्रभारी मंत्री गहलोत को झुंझुनू की मीडिया से डर या फिर अधिकारी की कारस्तानी ?

Minister Avinash Gehlot faces media transparency questions in Jhunjhunu

झुंझुनू में एक बार फिर हुआ पत्रकारों के साथ खेला

बैठकों में मीडिया कवरेज सीमित, पारदर्शिता पर उठे बड़े सवाल

झुंझुनू में प्रभारी मंत्री गहलोत पर पारदर्शिता को लेकर सवाल

चूरू और झुंझुनू की बैठकें: अलग-अलग तस्वीर

झुंझुनू, आज की खबर पर बात करने से पहले बात करते हैं, खबर के साथ लगी हुई चूरू की एक तस्वीर की जो कि कल की ही चुरू जिले के सुजानगढ़ पंचायत समिति की बैठक के दौरान की है जिसमें चुरू जिले के प्रभारी मंत्री अविनाश गहलोत, सांसद, विधायक गण एवं अन्य जनप्रतिनिधियों के साथ जिला प्रशासन सहित अन्य अधिकारी भी बैठे हुए हैं साथ इस तस्वीर में आप देख रहे हैं कि बड़ी तादाद में मीडिया कर्मी भी मौजूद हैं। अब सवाल खड़ा होता है कि झुंझुनू जिले के प्रभारी मंत्री भी अविनाश गहलोत हैं लेकिन झुंझुनू में जब वह जिला प्रशासन के अधिकारियों के साथ बैठक लेते हो या फिर झुंझुनू जिला परिषद सभागार में बैठक लेने का मामला हो, इन बैठकों में मीडिया के पूर्ण कवरेज पर आखिर रोक क्यों लगाई जाती है ? दरअसल आपकी जानकारी के लिए बता दें कि पूर्व में झुंझुनू जिला परिषद के कार्यकारी अधिकारी जवाहर चौधरी के समय जनप्रतिनिधियों ने किसी मामले को लेकर भ्रष्टाचार के बड़े आरोप लगाए थे और एसीबी में मामला दर्ज करवाने तक की बात भी कही थी और वहां पर मौजूद मीडिया कर्मियों ने इस पूरे घटनाक्रम को कवरेज कर लिया। इसके बाद से झुंझुनू जिला परिषद की बैठक में भी मीडिया कर्मियों को सिर्फ इतनी अनुमति मिलती है कि आप अंदर जाकर फोटो और सीमित विज़ुअल बनाएं और बाहर चले आए . आपको साधारण सभा की बैठक में बैठने तक नहीं दिया जाता। वहीं यह परिपाटी झुंझुनू जिला प्रशासन की बैठकों में भी उसके बाद से चल पड़ी। इसके लिए जब झुंझुनू जिला प्रशासन की बैठक लेने के लिए प्रभारी मंत्री आते हो या अन्य कोई मंत्री मीडिया कर्मियों को सिर्फ विजुअल और फोटो बनाने की अनुमति होती है। इसके अलावा वे बैठक की कार्रवाई को वहा बैठकर देख भी नहीं सकते। इन बैठकों में यदि कोई मीडिया कर्मी बैठा हुआ रहता है तो सूचना एवं जनसंपर्क अधिकारी स्वय उसके पास जाकर सूचित करते हैं कि आप फोटो और विजुअल बनाने के बाद बाहर चले जाएं क्योंकि ऊपर से कवरेज के आदेश नहीं है। अब सवाल खड़ा होता है कि या तो सरकार के मंत्रियों को पारदर्शिता से डर लगता है जिसके चलते उन्होंने ही आदेश दिए हो या फिर हो सकता है स्थानीय प्रशासन अपनी नाकामी को छुपाने के लिए ऊपर के आदेशों का हवाला देकर मीडिया को बाहर का रास्ता दिखाता है। दोनों ही स्थितियां लोकतंत्र के लिहाज से उपयुक्त नहीं कहीं जा सकती। चूरू और झुंझुनू दोनों जिलों के एक ही प्रभारी मंत्री अविनाश गहलोत और दोनों ही जिलों की स्थितियों में इतना भिन्न-भिन्न अंतर अपने आप में बड़ा सवाल खड़ा करता है।

जल्दबाजी में किया गया झुंझुनू का दौरा

वही प्रभारी मंत्री और प्रभारी सचिव का दौर ऐसा लगता है कि झुंझुनू के लिए जल्दबाजी में ही प्लान किया गया था। मिली जानकारी के अनुसार ढाई बजे के लगभग प्रभारी सचिव झुंझुनू की सीमा में प्रवेश कर गए थे उसके बाद में वे कुछ स्थानों का निरीक्षण करते रहे जैसी उनकी काम करने की शैली भी है। इसके बाद में वह अधिकारियों की बैठक लेने झुंझुनू जिला कलेक्ट्रेट में पहुंच गए और प्रभारी मंत्री 5:00 बजे के लगभग इस बैठक में पहुंचे बताए जाते हैं और देर रात 9:00 बजे तक बैठक चली उसके बाद में प्रभारी मंत्री और प्रभारी सचिव सर्किट हाउस से जयपुर के लिए प्रस्थान कर गए। इस पूरे स्थिति को देखकर लगता है कि महज कागजी कार्रवाई पूरी करने के लिए इस दौरे को प्लान किया गया था क्योंकि अन्य जिलों में भी प्रभारी मंत्री और प्रभारी सचिवों ने अपनी विजिट की थी लेकिन झुंझुनू की स्थिति कुछ अलग और जल्दबाजी की नजर आई।

प्रभारी सचिव के आने की नहीं लगने दी पत्रकारों को भनक
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि प्रभारी मंत्री अविनाश गहलोत के आने की सूचना तो सूचना जनसंपर्क अधिकारी ने ग्रुप में डाल रखी थी लेकिन प्रभारी सचिव डॉ समित शर्मा भी झुंझुनू के दौरे पर रहेंगे ऐसी कोई भी सूचना मीडिया कर्मियों को उपलब्ध नहीं करवाई गई। [सिर्फ आदेश की फोटो को छोड़कर ] इस संदर्भ में जब हमारे द्वारा कई मीडिया कर्मियों से बातचीत की तो उनका भी यह कहना था कि ऐसा लगता है कि जानबूझकर प्रभारी सचिव के भी दौरे पर आने की बात मीडिया कर्मियों से छुपाई गई हो क्योंकि प्रभारी सचिव जब बैठक लेते हैं तो मीडिया कर्मियों को वे ही पूरी कवरेज करने की अनुमति देते हैं। लिहाजा कहीं ना कहीं इसके पीछे भी कोई बड़ा पेच नजर आता है।

एक बार फिर हुआ पत्रकारों के साथ खेला
वही प्रभारी मंत्री और प्रभारी सचिव कि कल की हुई बैठक में एक बार फिर से पत्रकारों के साथ खेला हो गया। बैठक में गए पत्रकारों ने जानकारी देते हुए बताया कि कुछ जनप्रतिनिधियों ने अधिकारियों पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगाते हुए मंथली लेने तक के आरोप लगाने शुरू किया तो झुंझुनू के एक विधायक ने ही मंत्री की तरफ इशारा कर दिया कि कुछ मीडिया के लोग अंदर बैठे हुए हैं जिस पर स्थिति को भांपते हुए फिर से सूचना एवं जनसंपर्क अधिकारी हिमांशु सिंह द्वारा मीडिया कर्मियों को बाहर का रास्ता दिखा दिया गया। जिसके बाद कुछ मिडिया कर्मी आक्रोशित तो हुए लेकिन बाद में मीडिया कर्मियों को मान मुन्नवल करके फिर से बाईट के लिए बुलाया गया। इस पूरे घटनाक्रम के दौरान उपस्थित कुछ मीडिया कर्मियों ने जानकारी देते हुए बताया कि उनको वापस बुलाने के लिए दो-तीन बार फोन किए गए। यहां तक कि प्रभारी मंत्री ने उनको फोन करके यहां कह दिया कि आप मेरे लिए एक बार आ जाओ सूचना एवं जनसंपर्क अधिकारी के लिए नहीं। वही सवाल तो उन पत्रकारों पर भी खड़ा होता है जो बार-बार इस तरह से बैठक से निकाल दिए जाते हैं और अपने बड़े चैनल या बड़े अखबार का हवाला देकर स्वाभिमान को ताक पर रखते हुए किसी मंत्री या बड़े अधिकारी के बुलावे पर वापस बैठक में चले जाते हैं।