वामपंथी दलों ने मोदी सरकार पर मजदूर-किसान विरोधी नीति का लगाया आरोप
झुंझुनूं, मनरेगा कानून में प्रस्तावित बदलाव और महात्मा गांधी का नाम हटाने की कथित साजिश के विरोध में सोमवार को झुंझुनूं जिला कलेक्ट्रेट पर वामपंथी दलों ने जोरदार प्रदर्शन किया।
यह प्रदर्शन सीपीआईएम, सीपीआई और सीपीआई माले के संयुक्त आह्वान पर, देशभर में आयोजित राष्ट्रव्यापी कार्यक्रम के तहत किया गया।
शहीद पार्क से निकला जुलूस
वामपंथी दलों के कार्यकर्ता शहीद पार्क से जुलूस के रूप में नारे लगाते हुए जिला कलेक्ट्रेट पहुंचे।
कलेक्ट्रेट के मुख्य द्वार पर पहुंचकर प्रदर्शनकारियों ने मोदी सरकार की मजदूर-किसान विरोधी नीतियों के खिलाफ जमकर नारेबाजी की और पारित विधेयक की प्रतियां जलाईं।
क्या है विरोध का कारण?
वक्ताओं ने आरोप लगाया कि—
- मनरेगा कानून को कमजोर करने की साजिश की जा रही है
- महात्मा गांधी का नाम हटाने का प्रयास किया जा रहा है
- भारी कर्ज में डूबे राज्यों को मिलने वाली 10% सहायता को बढ़ाकर 40% करने के नाम पर मनरेगा को समाप्त करने की तैयारी है
“यह कानून गरीब मजदूरों के जीवन का आधार है, इसे खत्म करने की कोशिश बर्दाश्त नहीं की जाएगी।” — वामपंथी नेताओं का बयान
नेताओं ने क्या कहा?
सीपीआई माले जिला सचिव कामरेड रामचंद्र कुलहरि ने कहा कि मनरेगा केवल रोजगार योजना नहीं, बल्कि ग्रामीण गरीबों की आर्थिक सुरक्षा की गारंटी है।
वहीं सीपीआईएम जिला सचिव कामरेड राजेश बिजारणियां ने कहा कि केंद्र सरकार की नीतियां सीधे तौर पर मजदूरों और किसानों पर हमला हैं।
प्रदर्शन में ये नेता रहे शामिल
प्रदर्शन में प्रमुख रूप से—
- कामरेड फूलचंद ढेवा (केंद्रीय कमेटी सदस्य, CPI ML)
- कामरेड फूलचंद बर्वर (राज्य समिति सचिवालय सदस्य, CPI(M))
- कामरेड रामचंद्र कुलहरि (जिला सचिव, CPI ML)
- कामरेड राजेश बिजारणियां (जिला सचिव, CPI(M))
- पूर्व जिला सचिव सुमेर सिंह बुडानिया
- कामरेड इंद्राज सिंह चारावास, बिलाल कुरैशी, मनफूल सिंह, शीशराम गोठवाल, अमर सिंह चाहर, पवन कुल्हार, अमित सिंसिया, पिंटू, अजरूद्दीन गहलोत, योगेश कटारिया, सुरेंद्र लांबा, अशोक राव
सहित कई दर्जन कार्यकर्ता शामिल रहे।