लोकसभा में झुंझुनूं के MSME व रोजगार की उपेक्षा उठी
झुंझुनूं। जिले में उद्यमिता, रोजगार और MSME विकास की उपेक्षा का मुद्दा लोकसभा तक पहुंच गया है। सांसद बृजेन्द्र ओला ने सदन में कहा कि केंद्र सरकार के आधिकारिक आंकड़े ही इस भेदभाव को उजागर करते हैं।
“झुंझुनूं पीछे धकेला जा रहा है”—सांसद ओला
ओला ने बताया कि प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम (PMEGP) के तहत पूरे देश में 4,11,627 लाभार्थियों को सहायता मिली है, लेकिन संभावनाओं से भरे झुंझुनूं जैसे बड़े जिले को केवल 470 लाभार्थियों तक सीमित कर दिया गया।
इंक्यूबेशन विज़िटर्स के आंकड़े भी चौंकाने वाले हैं—
1,418 विज़िटर्स में से झुंझुनूं का प्रतिनिधित्व सिर्फ 1 व्यक्ति ने किया।
उन्होंने कहा कि—
“यह विकास नहीं, झुंझुनूं की स्पष्ट उपेक्षा है। जिले को योजनाओं से वंचित किया जा रहा है।”
राजस्थान में 10,002 लाभार्थी, झुंझुनूं को सिर्फ 470
सांसद ने कहा कि पूरे राजस्थान में 10,002 लाभार्थी इस योजना से जुड़े, लेकिन झुंझुनूं को मात्र 470 मिलना असमानता और भेदभाव का प्रमाण है।
उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार कागज़ी आंकड़ों से रोजगार की झूठी तस्वीर पेश कर रही है, जबकि वास्तविकता यह है कि—
- न स्वरोजगार के अवसर
- न प्रशिक्षण
- न वित्तीय सहायता
- और न ही कोई विशेष पैकेज
जिले को उपलब्ध कराया जा रहा है।
“झुंझुनूं सरकार की प्राथमिकता सूची में शामिल नहीं”
ओला ने कहा कि झुंझुनूं लगातार योजनाओं में पीछे रखा जा रहा है, जिससे लगता है कि—
“जिला सरकार की प्राथमिकताओं में शामिल ही नहीं है।”
लोकसभा में सांसद ने रखी चार प्रमुख मांगें
सांसद ओला ने सदन में झुंझुनूं के लिए निम्न मांगें रखीं—
उद्यमिता इन्क्यूबेशन/इनोवेशन सेंटर की स्थापना
ताकि जिले का युवा आधुनिक तकनीक और स्टार्टअप सुविधाओं से जुड़ सके।
PMEGP और MSME योजनाओं में न्यायसंगत हिस्सेदारी
झुंझुनूं के लिए अलग लक्ष्य तय करने की आवश्यकता बताई।
स्थायी स्थानीय रोजगार अवसर
जिले के युवाओं को प्रवास पर मजबूर न होना पड़े।
योजनाओं की निष्पक्ष मॉनिटरिंग
ताकि लाभार्थियों को समय पर और बिना भेदभाव के सहायता मिले।