सजा के साथ सुधार की नई दिशा में नवाचार
झुंझुनूं जेल में बंदियों को मिलेगा सम्मानजनक रोजगार का अवसर
झुंझुनू, अब जेल की दीवारें सिर्फ बंदी बांधने की ही नहीं, जीवन की नई सम्भावनाओ की भी स्थली बन सकती है । सजा के साथ सुधार की दिशा में यह बड़ा कदम साबित होगा। मिली जानकारी के अनुसार प्रतापगढ़ के साथ पांच जिलों झुंझुनूं, बारां, चूरू, सीकर और अजमेर में भी इसी मॉडल पर खुली जेलों के भीतर पेट्रोल पंप खोले जा रहे हैं। जिससे बंदियों को सुरक्षित, संरक्षित और सम्मानजनक रोजगार मिल सके। इस मामले पर जब जानकरी ली गई तो सामने आया कि झुंझुनू की खुली जेल में पेट्रोल पंप खुलने में अभी समय लग सकता है। जिसका कारण है जेल के पास से गुजर रही सड़क।
झुंझुनू जिला जेल अधीक्षक डीवाईएसपी प्रमोद कुमार ने जानकारी देते हुए बताया कि झुंझुनू जिला जेल रोड के पास है और जो रोड है, वह नेशनल हाईवे है जिसके चलते वहां पर कुछ जगह छोड़नी पड़ती है अगर यह नेशनल हाईवे, बाईपास बन रही है वहां पर शिफ्ट हो जाता है उसके बाद ही यहां पर पेट्रोल पंप बन पाएगा। वही डीवाईएसपी ने बताया कि झुंझुनू की खुली जेल में अभी 13 बंदी है।
आत्मनिर्भरता की ओर बंदियों की नई राह
यह पहल सिर्फ एक नवाचार नहीं बल्कि सामाजिक पुनर्वास का बड़ा प्रयास है। बंदियों को जेल परिसर में ही सम्मानजनक कार्य मिलने से उन्हें समाज से जोड़ने और उनकी मानसिक स्थिति सुधारने में मदद मिलेगी।
इस योजना के अंतर्गत:
- तेल कंपनी द्वारा पंप का संचालन किया जाएगा
- लागत करीब 1.5 से 2 करोड़ रुपये होगी
- जेल प्रशासन इसकी निगरानी करेगा
अन्य जिलों से भी आवश्यकता अनुसार बंदियों को यहां स्थानांतरित कर रोजगार दिया जाएगा।
निष्कर्ष:
झुंझुनूं खुली जेल में पेट्रोल पंप खोलने की यह योजना प्रशासनिक नवाचार और सामाजिक पुनर्वास का प्रतीक है, जिसकी राह अभी सड़क जैसी तकनीकी बाधा से अटकी हुई है। यदि यह पहल पूरी होती है, तो यह राज्य की जेल सुधार नीति में एक मॉडल उदाहरण बन सकती है।