उदयपुरवाटी में रावण दहन आज, परंपरा में बदलाव
उदयपुरवाटी में रावण दहन आज शाम को होगा
उदयपुरवाटी, कैलाश बबेरवाल दशहरा उत्सव को लेकर उदयपुरवाटी कस्बे में तैयारियां पूरी हो चुकी हैं।
आज शाम नांगल नदी के तट पर रावण दहन कार्यक्रम आयोजित होगा, जिसमें हजारों की संख्या में लोग शामिल होंगे।
दूसरे साल भी नहीं चलेंगी गोलियां
400 साल पुरानी परंपरा के अनुसार, दादूपंथी समाज के अखाड़ों द्वारा रावण की सेना के प्रतीक मटकों पर बंदूकों से फायरिंग की जाती थी।
लेकिन दूसरे साल भी प्रशासन ने अनुमति नहीं दी, जिससे इस ऐतिहासिक परंपरा में फिर बदलाव किया गया है।
क्या होगा आज का नया तरीका?
इस बार भी तीर-कमान से मटकों को भेदकर रावण की सेना का प्रतीकात्मक नाश किया जाएगा।
इसके बाद रावण के पुतले का दहन किया जाएगा।
इस वैकल्पिक व्यवस्था पर स्थानीय समाज के कुछ लोग संतुष्ट हैं, तो कुछ निराश और आक्रोशित।
स्थानीयों में नाराजगी, सरकार से उम्मीद टूटी
स्थानीय निवासियों और परंपरा प्रेमियों को उम्मीद थी कि भाजपा सरकार आने के बाद पुरानी परंपरा को पुनर्जीवित किया जाएगा।
लेकिन अब लगातार दूसरे साल भी अनुमति नहीं मिलने से गहरा असंतोष है।
एक बुजुर्ग श्रद्धालु ने कहा:
“यह सिर्फ आयोजन नहीं, हमारी विरासत है। सरकार और प्रशासन को समझना चाहिए कि परंपराएं बस कानूनों से नहीं, भावना से चलती हैं।“
क्या कहते हैं आयोजक?
दशहरा उत्सव समिति के अनुसार:
“हमने हर संभव प्रयास किया, लेकिन सुरक्षा कारणों से प्रशासन ने अनुमति नहीं दी। तीर-कमान से प्रतीकात्मक कार्यक्रम किया जाएगा।“
क्या 2026 में वापस आएगी परंपरा?
स्थानीय लोगों और समाजसेवियों को उम्मीद है कि आने वाले वर्षों में प्रशासन और सरकार स्थिति की गंभीरता को समझेगी, और 400 साल पुरानी परंपरा को फिर से शुरू करने की अनुमति दी जाएगी।
दादूपंथी समाज की ये रही है परंपरा-
पिछले 350-400 सालों से दादूपंथी समाज का यह दशहरा उत्सव शेखावाटी में एक खास पहचान रखता था।
रावण दहन से पहले सेना द्वारा फायरिंग करना एवं रावण का पुतला जलाने से पहले दादूपंथी सैनिक रावण की सेना के प्रतीक मटकों पर बंदूकों से गोलियां दागते थे।
शांतिपूर्ण आयोजन में 15-20 हजार की भीड़ होने के बावजूद भी पुलिस व स्वयंसेवकों की मदद से कार्यक्रम शांतिपूर्वक संपन्न होता रहा है।