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Jhunjhunu: उदयपुरवाटी में बगैर बंदूक रावण दहन, चली तीरों की बारिश

Udaipurwati Ravana Dahan with arrows, traditional celebration continues

उदयपुरवाटी, कैलाश बबेरवाल। शेखावाटी के उदयपुरवाटी कस्बे में इस बार का रावण दहन उत्सव एक अलग ही रंग में नजर आया। प्रशासन ने बंदूक चलाने की अनुमति नहीं दी, जिसके चलते परंपरागत रूप से होने वाले बंदूक से रावण दहन की जगह तीर-बाणों से रावण और उसकी सेना का संहार किया गया।

बंदूक की जगह चला तीर, परंपरा बनी रही कायम

दशहरा उत्सव समिति के कैलाश बबेरवाल और शिवदयाल स्वामी ने बताया कि

“उदयपुरवाटी में रावण दहन की यह परंपरा लगभग 400 साल पुरानी है, जिसमें दादू पंथी सेना बंदूकों से मटकों (रावण की सेना) को छलनी करती थी।”

लेकिन इस बार प्रशासनिक निर्देशों के कारण बंदूकों की जगह धनुष और तीर का प्रयोग किया गया।

प्रशासन की सख्ती, आर्म्स एक्ट का हवाला

थाना अधिकारी कस्तूर वर्मा ‘निशांत’ ने कहा:

आर्म्स एक्ट के तहत सार्वजनिक और धार्मिक स्थलों पर बंदूक का प्रयोग नहीं किया जा सकता।”

इस आदेश का पालन करते हुए आयोजकों ने इस बार अहिंसक और सुरक्षित तरीके से उत्सव का आयोजन किया।

मटकों को सेना बताया, तीरों से किया गया संहार

रावण और उसकी सेना के प्रतीक सफेद मटकों को नदी किनारे सजाया गया। दादू पंथी समाज की ऊंटों पर सवार सेना ने इन मटकों को तीरों से फोड़ते हुए रावण दहन की शुरुआत की।

इसके पश्चात बाण चलाकर रावण का विशाल पुतला दहन किया गया। साथ ही विशाल आतिशबाजी ने उत्सव को और भी भव्य बना दिया।

उत्सव में रही पारंपरिक झलक

शंकर दास स्वामी ने बताया कि

“यह बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। दादू पंथी समाज जमात स्कूल स्थित बालाजी मंदिर में पूजा कर अखाड़ों के साथ शोभायात्रा निकालते हैं।”

यह शोभायात्रा मुख्य बाजार से होती हुई नांगल नदी पहुंचती है, जहां परंपरा के अनुसार रावण दहन होता है।