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जयपुर, राज्य सरकार ने राजकीय चिकित्सकों की ड्यूटी टाइम में निजी प्रेक्टिस करने पर सख्ती बरतने का निर्णय लिया है।
चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री गजेन्द्र सिंह खींवसर ने कहा कि ड्यूटी के दौरान किसी निजी अस्पताल या क्लिनिक में कार्यरत पाए जाने वाले चिकित्सकों के खिलाफ कठोर अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी।
उन्होंने स्पष्ट किया कि जो डॉक्टर नॉन प्रेक्टिस अलाउंस (NPA) ले रहे हैं, वे यदि प्राइवेट प्रेक्टिस करते पाए गए, तो उनके विरुद्ध भी सख्त एक्शन लिया जाएगा।
निरीक्षण अभियान शुरू होगा
मंत्री खींवसर ने बताया कि राजकीय चिकित्सा संस्थानों की कार्यप्रणाली में सुधार और सेवाओं की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए प्रदेशभर में सघन निरीक्षण अभियान चलाया जाएगा।
इस अभियान में राज्य, जिला और ब्लॉक स्तर के अधिकारी सभी सरकारी अस्पतालों का निरीक्षण करेंगे। निरीक्षण के दौरान समयपालन, स्टाफ की उपस्थिति, उपकरणों की उपलब्धता और मरीजों को दी जा रही सेवाओं जैसे पैरामीटर्स की जांच की जाएगी।
कठोर जांच के निर्देश
कुछ चिकित्सकों द्वारा नियम विरुद्ध निजी प्रेक्टिस करने की शिकायतें मिलने के बाद मंत्री ने उच्च अधिकारियों को गहन जांच के आदेश दिए हैं।
उन्होंने कहा कि “राजकीय दायित्वों में लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। यदि कोई चिकित्सक ड्यूटी के समय निजी संस्थान में कार्य करता पाया गया, तो उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई अनिवार्य है।”
स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाने की प्रतिबद्धता
मंत्री खींवसर ने कहा कि चिकित्सा एक नोबेल प्रोफेशन है और जीवन रक्षा इसका सर्वोच्च उद्देश्य है। इसलिए हर चिकित्सक को अपने राजकीय दायित्वों का निष्ठा और ईमानदारी से पालन करना चाहिए।
उन्होंने बताया कि राज्य सरकार बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध करवाने के लिए तकनीकी नवाचारों और प्रशासनिक सुधारों पर भी कार्य कर रही है।
निष्कर्ष:
सरकार अब ड्यूटी टाइम में निजी प्रेक्टिस करने वाले डॉक्टरों पर जीरो टॉलरेंस नीति अपनाएगी। निरीक्षणों के बाद दोषी पाए जाने वाले अधिकारियों पर तुरंत एक्शन लिया जाएगा।