प्रवासी भारतीयों ने परंपरा और शिक्षा को जोड़ा एक मंच पर
दन में सजी राजस्थानी महफिल
लंदन,Jhunjhunu। राजस्थान चैरिटेबल ट्रस्ट UK (RCT UK) ने 20 सितंबर को लंदन में घूमर 2025 का भव्य आयोजन किया। इस मौके पर हजारों प्रवासी भारतीयों और स्थानीय लोगों ने भाग लिया। कार्यक्रम में न केवल संगीत और नृत्य की रंगारंग प्रस्तुतियां हुईं बल्कि शिक्षा के लिए सहायता राशि भी जुटाई गई।
कलाकारों का जादू
टीम कुरजा के संजय मुकंदगढ़, मनीषा सैनी और हेमंत डांगी ने अपने संगीत और सुरों से ऐसा माहौल बनाया कि पूरा लंदन राजस्थानी रंगों में रंग गया। खास बात यह रही कि ये कलाकार बिना मेहनताने के शिक्षा अभियान का हिस्सा बने।
घूमर बना आकर्षण
पारंपरिक राजस्थानी वेशभूषा में घूमर नृत्य मुख्य आकर्षण रहा। इसमें न केवल प्रवासी राजस्थानी बल्कि अन्य प्रवासी और स्थानीय लोग भी शामिल हुए। हर तरफ “पधारो म्हारे देश” की गूंज सुनाई दी।
शिक्षा हेतु समर्पण
RCT UK का मकसद है कि कोई भी बच्चा संसाधनों की कमी से शिक्षा से वंचित न रहे। इस आयोजन से जुटाई गई राशि भारत के 1300 राजकीय विद्यालयों और सैकड़ों बच्चों के सपनों को पूरा करने में मदद करेगी।
राजस्थान भवन का प्रस्ताव
कार्यक्रम में लंदन में राजस्थान भवन बनाने का प्रस्ताव भी रखा गया। लगभग 7 करोड़ रुपये की लागत से बनने वाला यह भवन छात्रों और पर्यटकों के ठहराव के साथ-साथ सांस्कृतिक केंद्र बनेगा।
भामाशाहों का सम्मान
इस आयोजन में SBI UK, वन फाइनेंशियल्स, केतराज, नारा सोलिसिटर्स जैसे संस्थानों व कई दानदाताओं का सम्मान किया गया। डा. रामचंद्र घासल, बबिता चाहर, बिंदु चौधरी, राजेंद्र कडवासरा, अमित कुमार जैसे भामाशाहों के सहयोग ने इस मुहिम को नई ऊर्जा दी।
स्वाद और संस्कृति का संगम
राजस्थानी व्यंजनों में दाल-बाटी-चूरमा, खट्टे की सब्जी और मिठाइयों ने मेहमानों का दिल जीत लिया। बच्चों के लिए खेल गतिविधियां और हेरिटेज स्टॉल्स भी लगाए गए।
आयोजन समिति
कार्यक्रम की व्यवस्था में हनुवंत सिंह राजपुरोहित के नेतृत्व में दर्जनों स्वयंसेवकों ने योगदान दिया। मंच संचालन अतुल अग्रवाल व रचना ढाका ने किया, जबकि सजावट, भोजन और अन्य प्रबंधन के लिए अलग-अलग टीमों ने जिम्मेदारी निभाई।
घूमर प्रतियोगिता के विजेता
- प्रथम: अंकिता अग्रवाल
- द्वितीय: दशरथ जोशी
- तृतीय: निधि बबेरवाल
संस्कृति और परोपकार का अद्भुत संगम
लंदन में आयोजित यह महोत्सव न सिर्फ राजस्थानी संस्कृति का भव्य प्रदर्शन था, बल्कि यह शिक्षा और परोपकार का महायज्ञ भी साबित हुआ।