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जैसलमेर बस हादसे के बाद सख्त एक्शन: जयपुर में 2 स्लीपर बसें जब्त

Transport Department seizes unsafe sleeper buses in Jaipur after fire incident

जैसलमेर बस हादसे के बाद विभाग का सख्त रुख

जयपुर, जैसलमेर बस अग्निकांड के बाद परिवहन विभाग ने सड़क सुरक्षा को लेकर सख्त रुख अपनाया है।
25 अक्टूबर को चौमूं क्षेत्र में दो स्लीपर यात्री बसें — MP44 ZD 9944 और AR11 L 1111 — को बस बॉडी कोड AIS-119/52 के नियमों का उल्लंघन करने पर जब्त किया गया।


बसों में सुरक्षा मानकों की अनदेखी

जांच के दौरान पता चला कि MP44 ZD 9944 बस में आग बुझाने की प्रणाली नहीं लगी थी, जबकि बस में LPG सिलेंडर रखा हुआ मिला — जो यात्रियों के लिए गंभीर खतरा साबित हो सकता था।
साथ ही, बस की लंबाई के अनुसार केवल 36 स्लीपर की अनुमति थी, परंतु वाहन स्वामी ने चैसिस काटकर सात पंक्तियों में 50 स्लीपर बना रखे थे।
आपातकालीन दरवाज़े भी नियमानुसार नहीं थे और कुछ को बंद कर रखा गया था।


यात्रियों के लिए मानवीय संवेदनशीलता

बस जब्ती के समय यात्रियों को वैकल्पिक बसों की व्यवस्था कर सिंधी कैम्प बस स्टॉप तक पहुँचाया गया।
इस दौरान जिला परिवहन कार्यालय चौमूं की टीम ने यात्रियों को भोजन, पानी और अन्य आवश्यक सुविधाएँ उपलब्ध कराईं।


दूसरी बस पर भी कार्रवाई

दूसरी बस AR11 L 1111 के यात्रियों को भी तुरंत अन्य बसों से उनके गंतव्य स्थान के लिए रवाना किया गया।
विभाग ने स्पष्ट किया कि नियमों के उल्लंघन करने वाले वाहनों को किसी भी स्थिति में सड़क पर नहीं चलने दिया जाएगा।


अधिकारियों का बयान

प्रादेशिक परिवहन अधिकारी जयपुर द्वितीय धर्मेन्द्र कुमार ने बताया कि —

“चौमूं के जिला परिवहन अधिकारी अनूप सहारिया और उनकी टीम ने संयम और जिम्मेदारी से कार्य करते हुए अवैध बसों को जब्त किया। यात्रियों के सम्मान और सुविधा का पूरा ध्यान रखा गया।”

उन्होंने कहा कि यह कार्रवाई विभाग की सड़क सुरक्षा के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाती है।


सड़क सुरक्षा पर सरकार का फोकस

जैसलमेर हादसे के बाद प्रदेशभर में स्लीपर कोच बसों की जांच तेज कर दी गई है।
विभाग अब सभी निजी बस ऑपरेटरों को बस बॉडी कोड (AIS-119/52) का पालन सुनिश्चित करने के लिए नोटिस भेज रहा है।


निष्कर्ष

परिवहन विभाग की यह कार्रवाई स्पष्ट संकेत है कि नियमों की अनदेखी करने वाले वाहनों पर अब कोई रियायत नहीं मिलेगी।
यात्री सुरक्षा सर्वोच्च प्राथमिकता है — और यह पहल भविष्य में ऐसे हादसों को रोकने में मदद करेगी।