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पीएम धन धान्य योजना में मूंग, मोठ और चना को शामिल किया जाए: सांसद राहुल कस्वां

पीएम धन धान्य योजना में मूंग, मोठ और चना को शामिल करने की मांग करते सांसद राहुल कस्वां | MP Rahul Kaswan demands the inclusion of moong, moth, and chickpeas in the PM Dhan Dhanya Yojana.

चूरू सांसद राहुल कस्वां ने गुरुवार को संसद में पीएम धन धान्य योजना से जुड़े अहम मुद्दों को उठाते हुए राजस्थान के किसानों के हित में बड़ा सवाल खड़ा किया। उन्होंने केंद्र सरकार से मांग की कि योजना के अंतर्गत राजस्थान की प्रमुख दलहन फसलों – मूंग, मोठ और चना – को तत्काल शामिल किया जाए, ताकि शुष्क क्षेत्र के किसानों को वास्तविक लाभ मिल सके।

सांसद कस्वां ने कहा कि केंद्र सरकार ने 36 कृषि योजनाओं को एकीकृत कर पीएम धन धान्य योजना शुरू की है, जिसके तहत देश के 100 जिलों का चयन किया गया है। इस योजना का उद्देश्य दलहन और तिलहन फसलों की 100 प्रतिशत खरीद एमएसपी पर सुनिश्चित कर किसानों की आय को स्थिरता देना और देश को दलहन उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाना है। यह योजना कृषि क्षेत्र में भरोसा लौटाने की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण कदम मानी जा रही है।

हालांकि, सांसद ने कहा कि राजस्थान के 8 जिले योजना में शामिल होने के बावजूद अब तक राज्य की प्रमुख दलहन फसलें – मूंग, मोठ और चना – योजना के दायरे से बाहर रखी गई हैं, जो अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है।

शुष्क क्षेत्रों की रीढ़ हैं मूंग, मोठ और चना

सांसद कस्वां ने कहा कि मूंग, मोठ और चना राजस्थान की शुष्क जलवायु में सबसे अधिक उगाई जाने वाली फसलें हैं। चूरू, हनुमानगढ़, बीकानेर, नागौर और झुंझुनूं जैसे जिले देश के प्रमुख दलहन उत्पादन केंद्र माने जाते हैं। इन क्षेत्रों में हजारों किसान वर्षा आधारित खेती पर निर्भर हैं और दलहन फसलें ही उनकी आय का मुख्य आधार हैं।

उन्होंने कहा कि जब सरकार दलहन में आत्मनिर्भरता और 100 प्रतिशत खरीद की बात करती है, लेकिन इन प्रमुख फसलों को योजना से बाहर रखती है, तो इससे किसानों में भ्रम, असंतोष और अविश्वास की स्थिति पैदा होती है। यदि योजना का उद्देश्य वास्तव में किसानों की आय बढ़ाना और दलहन उत्पादन को मजबूत करना है, तो मूंग, मोठ और चना को इसमें शामिल करना अनिवार्य है।

मॉनिटरिंग कमेटी में जनप्रतिनिधियों को शामिल करने की मांग

सांसद कस्वां ने योजना के क्रियान्वयन को लेकर एक और गंभीर खामी की ओर ध्यान दिलाया। उन्होंने कहा कि पीएम धन धान्य योजना की मॉनिटरिंग कमेटी में स्थानीय जनप्रतिनिधियों को शामिल नहीं किया गया है, जिससे जमीनी स्तर पर किसानों की आवाज शासन तक नहीं पहुंच पा रही है।

उन्होंने कहा कि यदि जनप्रतिनिधि मॉनिटरिंग प्रक्रिया का हिस्सा नहीं होंगे, तो योजना का प्रभावी और पारदर्शी क्रियान्वयन संभव नहीं हो पाएगा। इसलिए सरकार को चाहिए कि स्थानीय सांसदों और विधायकों को मॉनिटरिंग कमेटी में शामिल करने का प्रावधान लागू करे, ताकि योजना का लाभ वास्तविक किसानों तक पहुंचे।