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Rajasthan New Expressway : राजस्थान को नए साल का तोहफा, 6,000 करोड़ से बनेगा फोरलेन एक्सप्रेस-वे, सीकर समेत 5 जिलों में जमीनों के रेट होंगें हाई

Kotputli to Kishangarh fourlane Expressway : राजस्थान के लोगों के लिए बड़ी अच्छी खबर सामने आ रही है। बता दे कि नए साल पर प्रदेश के कई गुलजार होने वाले है। कहीं प्रदेश में इस नए एक्सप्रेवे के प्रोजेक्ट से सीकर समेत 5 जिलों कि जमीनी कीमतों में भी उछाल देखा जायगा। बता दे कि कोटपूतली से किशनगढ़ तक 208 किलोमीटर लंबा फोर लेन ग्रीनफील्ड एक्सप्रेस-वे बनेगा, जिसकी अनुमानित लागत 6000 करोड़ रुपये है. इस हाई-स्पीड कॉरिडोर के बनने से कोटपूतली से किशनगढ़ का सफर महज दो घंटे में पूरा हो सकेगा, जबकि अभी इसमें छह घंटे लगते हैं. इससे यात्रियों को करीब डेढ़ घंटे की बचत होगी.

यह रहेगा पूरा रूटमैप

जानकारी के लिए बता दे कि राजस्थान में बनने वाले इस नए एक्सप्रेसवे से पांच जिलों कि किस्मत चमकने वाली है। यह एक्सप्रेस-वे पांच जिलों को जोड़ेगा. कोटपूतली-बहरोड़, सीकर, जयपुर, डीडवाना-कुचामन और अजमेर जिले से होकर गुजरेगा. प्रमुख कस्बों और स्थानों जैसे रींगस, पलसाना, खंडेला, खाटूश्यामजी, रेनवाल, कुचामन सिटी, नावां, मकराना, डयोढ़ी-कोड़ी, आकोदा, नरैना, दूदू और किशनगढ़ को कनेक्टिविटी मिलेगी. इस रूट से दिल्ली से अजमेर आने-जाने वाले यात्रियों को जयपुर और कोटपूतली के ट्रैफिक जाम से मुक्ति मिलेगी.

रफ़्तार से दौडेंगें वाहन

बता दे कि प्रदेश में रेंग रेंग के चल रहे वाहन चालकों का दौर अब खत्म होने वाला है। इस एक्सप्रेस-वे पर वाहन 120 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से दौड़ सकेंगे. दुर्घटनाओं पर नियंत्रण के लिए ट्रैक्टर, थ्री-व्हीलर और टू-व्हीलर की एंट्री पूरी तरह प्रतिबंधित रहेगी.

नौ एंट्री-एग्जिट पॉइंट बनाए जाएंगे, जहां वाहनों की नंबर प्लेट स्कैन होगी और सिर्फ इस्तेमाल की गई दूरी का टोल कटेगा. एंट्री पॉइंट्स की दूरी 25 से 30 किलोमीटर रखी जाएगी.

100 से अधिक अंडरपास और फ्लाईओवर बनेंगे

जानकारी के लिए बता दे कि इस प्रोजेक्ट के बाअद रोजगार के साथ साथ व्यापार को भी बढावा मिलेगा। यात्रा को और अधिक आसान बनाने के लिए 100 से अधिक अंडरपास और फ्लाईओवर बनेंगे. किसानों और स्थानीय लोगों की सुविधा के लिए हर एक-दो किलोमीटर पर अंडरपास होंगे. नेशनल और स्टेट हाइवे क्रॉसिंग पर बड़े फ्लाईओवर बनाए जाएंगे. इससे गांवों का संपर्क बाधित नहीं होगा और

लेंड मार्किंग का काम शरू

प्रोजेक्ट के लिए करीब 2200 हेक्टेयर जमीन चाहिए. लैंड मार्किंग का काम शुरू हो चुका है और अधिग्रहण प्रक्रिया तेज गति से चल रही है. केंद्र और राज्य सरकार की मंजूरी मिलने के बाद नए साल में निर्माण कार्य शुरू होने की उम्मीद है.