सीकर/जयपुर,
राजस्थान पुलिस की तेज़तर्रार डीआईजी प्रीति चंद्रा की कहानी किसी फिल्म से कम नहीं। सीकर जिले के छोटे से गांव कूदन से निकलकर बिना कोचिंग के UPSC परीक्षा पास कर उन्होंने ‘लेडी सिंघम’ की पहचान बनाई।
सरकारी स्कूल से UPSC तक: प्रेरक सफर
- जन्म: 1979, कूदन गांव, सीकर
- पिता: रामचंद्र सुंडा (रिटायर्ड फौजी, समाजसेवी)
- शिक्षा: गांव के सरकारी स्कूल से पढ़ाई, जयपुर के महारानी कॉलेज से एम.ए. और बी.एड
- करियर: पत्रकारिता, फिर शिक्षिका और फिर UPSC की तैयारी
- UPSC सफलता: पहले प्रयास में 2008 में 249वीं रैंक, बनीं आईपीएस अधिकारी
“मैंने कोचिंग नहीं ली, सिर्फ मेहनत और अनुशासन से मंज़िल पाई।”
– डीआईजी प्रीति चंद्रा
राजस्थान पुलिस की ‘लेडी सिंघम’
प्रीति चंद्रा ने कई जिले जैसे करौली, बूंदी, बीकानेर और जोधपुर में काम किया और हर जगह अपराधियों के खिलाफ कड़ा रुख अपनाया:
- बूंदी में मानव तस्करी गिरोह तोड़ा, पीड़ितों का पुनर्वास कराया
- करौली में डकैतों के खिलाफ अभियान, कई सरेंडर
- जोधपुर में कोविड के दौरान गर्भवती महिलाओं और बुजुर्गों की मदद
- बीकानेर की पहली महिला एसपी बनीं
मुख्यमंत्री सराहनीय पदक’ से सम्मानित
राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने प्रीति चंद्रा को उनकी उत्कृष्ट सेवाओं और महिला सशक्तिकरण में योगदान के लिए हाल ही में ‘मुख्यमंत्री सराहनीय पदक’ से सम्मानित किया।
एक प्रेरणादायक जोड़ी: पति भी आईपीएस
- पति: विकास पाठक (IPS), वर्तमान में ITBP में DIG
- मुलाकात: लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासन अकादमी (मसूरी)
- शादी: 2010, जयपुर
निष्कर्ष
प्रीति चंद्रा की कहानी राजस्थान की बेटियों के लिए एक प्रेरणा है। उन्होंने दिखा दिया कि सरकारी स्कूल की छात्रा भी बिना कोचिंग के देश की सबसे कठिन परीक्षा पास कर सकती है।