Maa Durga Ki Aarti: हिन्दू पौराणिक कथाओं के अनुसार, मां दुर्गा को शक्ति, शक्तिमान देवी, पार्वती, शिवा और देवी जगदम्बा आदि नामों से जाना जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, मां दुर्गा की विधिपूर्वक पूजा-अर्चना करने से सारे दुष्टों का नाश होता है और जीवन में सुख-समृद्धि का आगमन होता है। इसके साथ ही अगर आप मां दुर्गा की पूजा के साथ ही उनकी विधि विधान से आरती करेंगे, तो इससे मनोकामनाओं की पूर्ति होने की बात कही गई है। यहां पढ़िए माता दुर्गा की आरती जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी तुम को निस दिन ध्यावत लिरिक्स इन हिंदी और साथ ही जानें दुर्गा जी की आरती का महत्व, लाभ, अर्थ, आरती करने का सही समय और साथ ही अन्य जानकारी।
Maa Durga Ki Aarti Lyrics in Hindi (माता दुर्गा की आरती लिरिक्स इन हिंदी)
जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी तुम को निस दिन ध्यावत
मैयाजी को निस दिन ध्यावत हरि ब्रह्मा शिवजी ।
ऊँ जय अम्बे गौरी॥
मांग सिन्दूर विराजत टीको मृग मद को । मैया टीको मृगमद को ।।
उज्ज्वल से दो नैना चन्द्रवदन नीको ।।
ऊँ जय अम्बे गौरी॥
कनक समान कलेवर रक्ताम्बर साजे । मैया रक्ताम्बर साजे ।।
रक्त पुष्प गले माला कण्ठ हार साजे ।।
ऊँ जय अम्बे गौरी॥
केहरि वाहन राजत खड्ग कृपाण धारी । मैया खड्ग कृपाण धारी ।।
सुर नर मुनि जन सेवत तिनके दुख हारी ।।
ऊँ जय अम्बे गौरी॥
कानन कुण्डल शोभित नासाग्रे मोती । मैया नासाग्रे मोती ।।
कोटिक चन्द्र दिवाकर सम राजत ज्योति ।।
ऊँ जय अम्बे गौरी॥
शम्भु निशम्भु बिडारे महिषासुर घाती । मैया महिषासुर घाती ।।
धूम्र विलोचन नैना निशदिन मदमाती ।।
ऊँ जय अम्बे गौरी॥
चण्ड – मुण्ड संहारे, शौणित बीज हरे । मैया शौणित बीज हरे ।।
मधु – कैटभ दोउ मारे, सुर भयहीन करे ।।
ऊँ जय अम्बे गौरी॥
ब्रह्माणी, रुद्राणी, तुम कमला रानी । मैया तुम कमला रानी ।।
आगम निगम बखानी, तुम शिव पटरानी ।।
ऊँ जय अम्बे गौरी॥
चौंसठ योगिनी गावत, नृत्य करत भैरु । मैया नृत्य करत भैरू ।।
बाजत ताल मृदंगा, अरु बाजत डमरू ।।
ऊँ जय अम्बे गौरी॥
तुम ही जग की माता, तुम ही हो भरता । मैया तुम ही हो भरता ।।
भक्तन की दुःख हरता, सुख सम्पत्ति करता ।।
ऊँ जय अम्बे गौरी॥
भुजा चार अति शोभित, वरमुद्रा धारी । मैया वर मुद्रा धारी ।।
मनवांछित फल पावत, सेवत नर नारी ।।
ऊँ जय अम्बे गौरी॥
कंचन थाल विराजत, अगर कपूर बाती । मैया अगर कपूर बाती ।।
श्रीमालकेतु में राजत, कोटि रतन ज्योति ।।
ऊँ जय अम्बे गौरी॥
अम्बे जी की आरती, जो कोई नर गावे । मैया जो कोई नर गावे ।।
कहत शिवानन्द स्वामी, सुख – सम्पत्ति पावे ।।
ऊँ जय अम्बे गौरी॥
माता दुर्गा की आरती का महत्व
ऐसा माना जाता है कि नियमित रूप से मां दुर्गा की आरती करने से देवी दुर्गा प्रसन्न होती हैं और भक्तों की सारी मनोकामनाएं पूरी करती हैं। इसके साथ ही मां दुर्गा की आरती करने से व्यक्ति को शत्रुओं से छुटकारा मिलता है।
माता दुर्गा की आरती करने के लाभ
मान्यताओं के अनुसार, माता दुर्गा की विधिपूर्वक आरती करने से जातकों को विशेष लाभ मिलता है। कहा जाता है कि नियमित रूप से मां दुर्गा की आरती करने से घर से नकारात्मक ऊर्जा दूर होकर सकारात्मक ऊर्जा आती है। इसके साथ ही सेहत पर भी सकारात्मक असर पड़ता है। मां दुर्गा की आरती करने से घर में सुख-समृद्धि और धन-दौलत भी आती है, साथ ही मां दुर्गा की आरती से मन को शांति मिलती है।
माता दुर्गा की आरती कैसे करें
माता दुर्गा की आरती करने से पहले स्नान आदि कर साफ वस्त्र धारण कर लें। इसके बाद पूजा स्थल को गंगाजल से शुद्ध रखें। फिर माता दुर्गा की विधिपूर्वक पूजा करें। इसके साथ ही घी का दीपक और धूप जला लें। आरती शुरू करने से पहले देवी दुर्गा की प्रतिमा के चरणों में आरती की थाली को चार बार घुमाएं, दो बार नाभि में, एक बार मुखमंडल पर और सात बार समस्त अंगों पर घुमाएं। आरती की थाली में दीपक के अलावा कपूर, पुष्प, धूप-अगरबत्ती, अक्षत (बिना टूटे हुए चावल) आदि जरूर रखें। मान्यता है कि इन चीजों के साथ मां दुर्गा की आरती करने से वह बेहद प्रसन्न होती हैं।
माता दुर्गा की आरती का सही समय?
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, मां दुर्गा की आरती सुबह और शाम दोनों समय करनी चाहिए। पहली आरती सुबह सूर्योदय से ठीक पहले और दूसरी आरती शाम को सूर्यास्त के तुरंत बाद करनी चाहिए।
माता दुर्गा की आरती के बाद क्या करना चाहिए?
माता दुर्गा की आरती करने के बाद उस आरती को तुलसी माता को दिखाएं। इसके बाद घर के हर कोने में दिखाएं। मान्यता है कि ऐसा करने से घर की सारी नकारात्मकता दूर होती है। इसके साथ ही घरवालों पर माता रानी की विशेष कृपा भी प्राप्त होगी। अंत में दीपक का जल से आचमन कर दें और भूल-चूक के लिए माफी मांगें और अपनी कामना कहें।
माता दुर्गा की आरती अर्थ सहित
आरती- जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी तुम को निस दिन ध्यावत
मैयाजी को निस दिन ध्यावत हरि ब्रह्मा शिवजी ।
ऊँ जय अम्बे गौरी॥
अर्थ- हे मां दुर्गा भवानी, अम्बे आपकी जय हो। हे माता श्यामा गौरी, आपकी जय हो। आपकी नियमित रूप से सभी लोग पूजा-अर्चना करते हैं। हे माता श्री हरि विष्णुजी, ब्रह्माजी और शिवजी सदैव आपका स्मरण कर आपको मान्यता देते हैं, आपकी पूजा करते हैं। हे अम्बे आपकी जय हो।
आरती- मांग सिन्दूर विराजत टीको मृग मद को । मैया टीको मृगमद को ।।
उज्ज्वल से दो नैना चन्द्रवदन नीको ।।
ऊँ जय अम्बे गौरी॥
अर्थ- आपके माथे पर सिंदूर का टीका शोभित होता है। हे मैया, आपका मृगमद से बना टीका बहुत सुंदर है। आपकी दो आंखें उज्ज्वल और चंद्रमा की तरह सुंदर हैं। हे अम्बे गौरी, आपकी जय हो!
आरती- कनक समान कलेवर रक्ताम्बर साजे । मैया रक्ताम्बर साजे ।।
रक्त पुष्प गले माला कण्ठ हार साजे ।।
ऊँ जय अम्बे गौरी॥
अर्थ- आपका शरीर सोने की तरह चमकता है और आप रक्त-रंग के वस्त्र पहनती हैं। हे मैया, आपका रक्त-रंग का वस्त्र बहुत सुंदर है। आपके गले में रक्त-रंग के फूलों की माला और कण्ठ में हार शोभित होता है। हे अम्बे गौरी, आपकी जय हो!
आरती- केहरि वाहन राजत खड्ग कृपाण धारी । मैया खड्ग कृपाण धारी ।।
सुर नर मुनि जन सेवत तिनके दुख हारी ।।
ऊँ जय अम्बे गौरी॥
अर्थ- आपका वाहन सिंह है, जो राजा की तरह शोभित होता है, और आप खड्ग और कृपाण धारण करती हैं। हे मैया, आपका खड्ग और कृपाण बहुत सुंदर है। आप देवताओं, मनुष्यों, मुनियों और अन्य जीवों की सेवा करती हैं और उनके दुखों को दूर करती हैं। हे अम्बे गौरी, आपकी जय हो!
आरती- कानन कुण्डल शोभित नासाग्रे मोती । मैया नासाग्रे मोती ।।
कोटिक चन्द्र दिवाकर सम राजत ज्योति ।।
ऊँ जय अम्बे गौरी॥
अर्थ- आपके कानों में सुंदर कुण्डल शोभित होते हैं और आपके नासाग्र पर मोती चमकता है। हे मैया, आपके नासाग्र पर मोती बहुत सुंदर है। आपकी ज्योति करोड़ों चंद्रमाओं और सूर्यों की ज्योति के समान है, जो बहुत ही सुंदर और प्रकाशमय है। हे अम्बे गौरी, आपकी जय हो!
आरती- शम्भु निशम्भु बिडारे महिषासुर घाती । मैया महिषासुर घाती ।।
धूम्र विलोचन नैना निशदिन मदमाती ।।
ऊँ जय अम्बे गौरी॥
अर्थ- आप शंभु और निशंभु को मारने वाली हैं और महिषासुर को भी मारा है। हे मैया, आप महिषासुर को मारने वाली हैं।