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Shani Dev Ki Aarti: शनि देव की आरती, जय जय श्री शनिदेव भक्तन हितकारी, सूर्य पुत्र प्रभु छाया महतारी…

Shani Dev Ki Aarti Lyrics In Hindi: यहां पढ़िए शनि महाराज जी की आरती जय जय श्री शनिदेव भक्तन हितकारी सूर्य पुत्र प्रभु छाया महतारी लिरिक्स इन हिंदी और साथ ही जानें ….
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जय जय श्री शनिदेव भक्तन हितकारी सूर्य पुत्र प्रभु छाया महतारी

Shani Dev Ki Aarti: हिंदू धर्म में शनिवार का दिन शनि देव की पूजा के लिए समर्पित है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन शनि महाराज की विधिपूर्वक पूजा-अर्चना करने से उनकी विशेष कृपा प्राप्त होती है। ऐसा कहा जाता है कि यदि किसी जातक पर शनि देव प्रसन्न हो जाएं तो उसके जीवन में सभी तरह के सुखों की प्राप्ति होती है। वहीं अगर शनि महाराज किसी से नाराज हो जाएं को उसे जीवन में कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है। ऐसे में अगर आप शनि देव को प्रसन्न करना चाहते हैं तो उनकी पूजा के साथ ही शनि देव की आरती भी करनी चाहिए। यहां पढ़िए शनि देव की आरती जय जय श्री शनिदेव भक्तन हितकारी सूर्य पुत्र प्रभु छाया महतारी लिरिक्स इन हिंदी और साथ ही जानें शनि महाराज की आरती का महत्व, लाभ, अर्थ, आरती करने का सही समय और साथ ही अन्य जानकारी।

Shani Dev Ki Aarti Lyrics in Hindi (शनि देव की आरती लिरिक्स इन हिंदी)

जय जय श्री शनिदेव भक्तन हितकारी।
सूर्य पुत्र प्रभु छाया महतारी॥
जय जय श्री शनि देव….


श्याम अंग वक्र-दृष्टि चतुर्भुजा धारी।
नी लाम्बर धार नाथ गज की असवारी॥
जय जय श्री शनि देव….


क्रीट मुकुट शीश राजित दिपत है लिलारी।
मुक्तन की माला गले शोभित बलिहारी॥
जय जय श्री शनि देव….


मोदक मिष्ठान पान चढ़त हैं सुपारी।
लोहा तिल तेल उड़द महिषी अति प्यारी॥
जय जय श्री शनि देव….


देव दनुज ऋषि मुनि सुमिरत नर नारी।
विश्वनाथ धरत ध्यान शरण हैं तुम्हारी॥
जय जय श्री शनि देव भक्तन हितकारी।।
जय जय श्री शनि देव….


शनि देव की आरती का महत्व

हिंदू धर्म में शनि देव की आरती का बहुत महत्व है। मान्यता है कि नियमित रूप से इस आरती का पाठ करने से संकटों से मुक्ति मिलती है और जीवन में सुख-शांति की प्राप्ति होती है। इसके साथ ही आत्मविश्वास की वृद्धि होती है और जीवन में साहस और धैर्य की प्राप्ति होती है।

शनि देव की आरती करने के लाभ

शनि देव की आरती करने के कई लाभ हैं। शनि देव की आरती का नियमित पाठ करने से मानसिक शांति की प्राप्ति होती है और जीवन में तनाव और चिंता से मुक्ति की प्राप्ति होती है। ऐसा माना जाता है कि शनि देव की आरती करने से आर्थिक लाभ मिलता है और जीवन में सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है।

शनि देव की आरती कैसे करें

शनि देव की आरती करने से पहले स्नान करें और साफ कपड़े पहनें। उसके बाद शनि देव की आरती करने के लिए थाली लेकर उसे सजाएं। इसके बाद इसमें कपूर या घी का दीपक जलाएं। अगर मंदिर में आरती कर रहे हैं तो पंचमुखी दीपक जलाएं। आरती के दौरान घंटे आदि बजाएं। इसके बाद विधिपूर्वक आरती कर लें।

शनि देव की आरती का सही समय?

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, शनिदेव की आरती सूर्यास्त के बाद करनी चाहिए। मान्यता है कि विधिपूर्वक शनिदेव की आरती करने से शनि देव जल्दी प्रसन्न होते हैं और भक्तों के दुख दूर करते हैं।

शनि देव की आरती के बाद क्या करना चाहिए?

शनि देव की आरती के बाद, उनका आभार व्यक्त करना चाहिए और उनके आशीर्वाद के लिए प्रार्थना करनी चाहिए। इसके साथ ही प्रसाद को सभी उपस्थित लोगों में वितरित करें।

शनि देव की आरती अर्थ सहित

आरती- जय जय श्री शनिदेव भक्तन हितकारी।
सूर्य पुत्र प्रभु छाया महतारी॥
जय जय श्री शनि देव….

अर्थ- हे श्री शनिदेव, आपकी जय हो! आप अपने भक्तों के हित के लिए कार्य करने वाले हैं। आप सूर्य के पुत्र हैं और आपकी माता छाया है। आपकी जय हो!

आरती- श्याम अंग वक्र-दृष्टि चतुर्भुजा धारी।
नी लाम्बर धार नाथ गज की असवारी॥
जय जय श्री शनि देव….

अर्थ- आपका शरीर श्याम वर्ण का है, आपकी दृष्टि वक्र है, और आपके चार भुजाएं हैं और आप गज (हाथी) पर सवार हैं। शनि देव आपकी जय हो!

आरती- क्रीट मुकुट शीश राजित दिपत है लिलारी।
मुक्तन की माला गले शोभित बलिहारी॥
जय जय श्री शनि देव….

अर्थ- आपके सिर पर एक सुंदर मुकुट है, जो आपके शीश को सजाता है और आपकी महिमा को बढ़ाता है। आपके गले में मुक्तानों की माला है, जो आपको शोभित करती है और आपकी शक्ति को दर्शाती है। शनि देव आपकी जय हो!

आरती- मोदक मिष्ठान पान चढ़त हैं सुपारी।
लोहा तिल तेल उड़द महिषी अति प्यारी॥
जय जय श्री शनि देव….

अर्थ- आपको मोदक, मिष्ठान, पान और सुपारी चढ़ाए जाते हैं। आपको लोहा, तिल, तेल, उड़द और महिषी (एक प्रकार का अनाज) बहुत प्रिय हैं।

आरती- जय जय श्री शनि देव….
देव दनुज ऋषि मुनि सुमिरत नर नारी।
विश्वनाथ धरत ध्यान शरण हैं तुम्हारी॥
जय जय श्री शनि देव भक्तन हितकारी।।

अर्थ- हे श्री शनि देव, आपकी जय हो! देवता, दानव, ऋषि, मुनि, पुरुष और स्त्री सभी आपका स्मरण करते हैं। विश्वनाथ (शिव) और धरती (पृथ्वी) भी आपके ध्यान में रहते हैं और आपकी शरण में आते हैं। हे श्री शनि देव, आपकी जय हो! आप अपने भक्तों के हित के लिए कार्य करते हैं।