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Shiv Ji Ki Aarti: शिव जी की आरती, ॐ जय शिव ओंकारा स्वामी जय शिव ओंकारा

Shiv Ji Ki Aarti Lyrics In Hindi: यहां पढ़िए भगवान शिव की आरती ॐ जय शिव ओंकारा स्वामी जय शिव ओंकारा लिरिक्स इन हिंदी और साथ ही जानें ….
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Shiv Ji Ki Puja Aarti: ओम जय शिव ओंकारा, स्वामी जय शिव ओंकारा.. शिव जी की पूरी आरती

Shiv Ji Ki Aarti: भगवान शिव को शंकर, भोलेनाथ, त्रिपुरारी दैसे अनगिनत नामों से जाना जाता है। हर सोमवार के साथ-साथ शिवरात्रि और सावन के दौरान भगवान शिव की विधिवत पूजा करने से हर दुख-दर्द दूर हो जाता है और सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। इसलिए शिव जी की पूजा करने के साथ अंत में इस आरती को अवश्य करें। ऐसा करने से भोले नाथ अति प्रसन्न होते हैं और आपकी पूजा पूर्ण मानी जाती है। यहां पढ़िए शिव जी की आरती ऊं जय शिव ओंकारा स्वामी जय शिव ओंकारा लिरिक्स इन हिंदी, साथ ही जानें शिव जी की आरती का महत्व, लाभ, अर्थ, आरती करने का सही समय और अन्य जानकारी

Shiv Ji Ki Aarti Lyrics in Hindi ( शिव जी की आरती लिरिक्स इन हिंदी)

ॐ जय शिव ओंकारा स्वामी जय शिव ओंकारा।
ब्रह्मा विष्णु सदा शिव अर्द्धांगी धारा॥
ऊं जय शिव ओंकारा


एकानन चतुरानन पंचानन राजे ।
हंसानन गरुड़ासन वृषवाहन साजे ॥
ॐ जय शिव ओंकारा


दो भुज चार चतुर्भुज दस भुज अति सोहे ।
त्रिगुण रूपनिरखता त्रिभुवन जन मोहे ॥
ॐ जय शिव ओंकारा


अक्षमाला बनमाला रुण्डमाला धारी ।
चंदन मृगमद सोहै भाले शशिधारी ॥
ॐ जय शिव ओंकारा


श्वेताम्बर पीताम्बर बाघम्बर अंगे ।
सनकादिक गरुणादिक भूतादिक संगे ॥
ॐ जय शिव ओंकारा


कर के मध्य कमंडलु चक्र त्रिशूल धर्ता ।
जगकर्ता जगभर्ता जगसंहारकर्ता ॥
॥ ॐ जय शिव ओंकारा ॥


ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका ।
प्रणवाक्षर मध्ये ये तीनों एका ॥
ॐ जय शिव ओंकारा


काशी में विश्वनाथ विराजत नन्दी ब्रह्मचारी ।
नित उठि भोग लगावत महिमा अति भारी ॥
ॐ जय शिव ओंकारा


त्रिगुण शिवजीकी आरती जो कोई नर गावे ।
कहत शिवानन्द स्वामी मनवांछित फल पावे ॥
ॐ जय शिव ओंकारा


शिव जी की आरती का महत्व

भगवान शिव की इस आरती में उनके भव्य और दिव्य स्वरूप की प्रशंसा की गई है।। इस आरती को करने से जीवन की हर एक समस्या दूर हो जाती है। इसके साथ ही आपको मानसिक तनाव से मुक्ति मिलेगी और शांति प्रदान होगी। इसके साथ ही शिव जी के साथ-साथ मां पार्वती की भी प्राप्त होगी।

शिव जी की आरती करने के लाभ

  • भगवान शिव की इस राशि को करने से मानसिक शांति मिलती है और जीवन में थोड़ी स्थिरता आती है।
  • घर में रोजाना इस आरती को करने से नकारात्मक ऊर्जा, वास्तु दोष दूर हो जाता है और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
  • शिव जी की आरती का नियमित रूप से पाठ करने से भक्ति और समर्पण तेजी से बढ़ती है।
  • भगवान शिव की आरती करने से जीवन में आने वाली हर एक विघ्न और बाधाएं दूर हो जाती है।
  • भगवान शिव की कृपा से हर क्षेत्र में सफलता के साथ-साथ सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है।

शिव जी की आरती कैसे करें

सबसे पहले शिव जी की तस्वीर और शिवलिंग की विधिवत पूजा करें। शिवलिंग में जल, फूल, माला, बेलपत्र, आक का फूल, धतूरा आदि चढ़ाने के साथ भोग लगाएं। इसके बाद घी का दीपक और धूप जला लें। फिर घंटी और ताली बजाकर आरती आरंभ कर दें। आरती का उच्चारण करते समय किसी भी प्रकार की गलती न करें। अंत में भोलेनाथ के जयकारे लाएं और भूल चूक के लिए माफी मांग लें।

शिव भगवान की आरती का सही समय?

भगवान शिव की आरती करने का सबसे अच्छा समय सुबह 6 से 8 बजे और शाम 5 से 7 बजे के बीच माना जाता है। लेकिन शास्त्रों के अनुसार आज शिव जी की आरती किसी भी समय कर सकते हैं।

शिव जी की आरती के बाद क्या करना चाहिए?

शिव जी की विधिवत आरती करने के बाद भोलेनाथ के जयकारे लगाना चाहिए। इसके बाद 2 बार जल से आचमन करना चाहिए। फिर भूल चूक के लिए माफ़ी मांग लें। अंत में आरती स्वयं लें और वहां उपस्थित हर एक व्यक्ति को दें।

शिव जी की आरती अर्थ सहित

आरती- जय शिव ओंकारा ॐ जय शिव ओंकारा।
ब्रह्मा विष्णु सदाशिव अर्द्धांगी धारा॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥

अर्थ- ॐ जय शिव ओंकारा” के उद्घोष के साथ तारीफ की गई है। इसके साथ ही भगवान शिव को ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव के रूप में और अर्धांगी (पार्वती) के साथ युग्यता को दर्शाया गया है

आरती- एकानन चतुरानन पंचानन राजे ।
हंसानन गरुड़ासन वृषवाहन साजे ॥

ॐ जय शिव ओंकारा॥
अर्थ- एकमुख यानी विष्णु, चारमुख यानी ब्रह्मा जी, पांच मुख यानी महेश के राजा होने के साथ हंस, गरुड़, वृषभ यानी की सवारी के साथ सजे हुए हैं।

आरती- दो भुज चार चतुर्भुज दस भुज अति सोहे।
त्रिगुण रूप निरखते त्रिभुवन जन मोहे ॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥

अर्थ-जिनकी दो भुजाएं यानी ब्रह्मा, चार भुजाधारी यानी विष्णु और जिनकी दस भुजाएं यानी महेश है। इसके साथ ही त्रिमूर्ति के रूप में जन को मोहित कर रहे हैं।

आरती- अक्षमाला वनमाला रुण्डमाला धारी ।
चंदन मृगमद सोहै भाले शशिधारी ॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥

अर्थ- भगवान शिव के पास माला, फूलों की माला और खोपड़ी की माला है। ललाट में चंदन, मृगमद कस्तुरी तिलक और चंद्रमा को धारण कियए हुए हैं।

आरती- श्वेताम्बर पीताम्बर बाघम्बर अंगे ।
सनकादिक गरुणादिक भूतादिक संगें ॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥

अर्थ-जिन्होंने सफेद, पीला और बाघ की त्वचा से बना आभूषण धारण किया हुआ है। ब्रह्मा जी के अनुचर सनकादिक, विष्णु जी के सेवक गरुणादिक और शिव जी के सेवक समस्त भूतादिक सेवा करते रहते हैं।

आरती- कर के मध्य कमण्डलु चक्र त्रिशूल धर्ता ।
जग कर्ता जगभर्ता जग संहारकर्ता ॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥

अर्थ- हाथ में कमंडल, चक्र और त्रिशूल को धारण किए हुए हैं। जिन्होंने जग की उत्पत्ति, पालनहार और संहारकर्ता है।

आरती- ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका ।
प्रणवाक्षर मध्ये ये तीनों एका ॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥

अर्थ- कोई भी विवेक हीन ब्रह्मा, विष्णु और शिव जी को जान वहीं सकता है। प्रणवाक्षर ऊँ में अकार, ब्रह्मा मकार विष्णु और उकार, महेश ये तीनो एकाकार है।

आरती- त्रिगुण शिवजी की आरती जो कोई नर गावे।
कहत शिवानंद स्वामी मनवांछित फल पावे ॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥

अर्थ- ब्रह्मा, विष्णु और महेश तीनों के गुणों से मिलकर बने शिव जी की आरती जो भी व्यक्ति करता है। शिवानंद स्वामी कहते हैं कि उसे हर मनोकामना पूरी होती है।