Shri Ram Ji Ki Aarti: हिंदू धर्म में प्रभु श्री राम को प्रमुख देवताओं में से एक माना जाता है। शास्त्रों के अनुसार, भगवान राम श्री विष्णु अवतार हैं। मर्यादा पुरुषोत्तम राम का जन्म अयोध्या में हुआ था। श्री रामचन्द्र जो दया और करुणा के प्रतीक हैं। यहां पढ़िए श्री रामचंद्र जी की आरती आरती कीजै श्री रघुवर जी की लिरिक्स इन हिंदी और साथ ही जानें प्रभु श्री राम जी की आरती का महत्व, लाभ, अर्थ, आरती करने का सही समय और साथ ही अन्य जानकारी
Shri Ram Ji Ki Aarti Lyrics in Hindi ( श्री राम जी की आरती लिरिक्स इन हिंदी)
आरती कीजै श्री रघुवर जी की,
सतचित आनंद शिव सुंदर की,
दशरथ तनय कौशल्या नंदन,
सुर, मुनि, रक्षक, दैत्य निकंदन,
अनुगत भक्त-भक्त उर चंदन,
मर्यादा पुरुषोत्तम वर की,
आरती कीजे श्री…
निर्गुण, सगुण, अनूप रूप निधि,
सकल लोक वन्दित विभिन्न विधि,
हरण शोक भयदायक नवनिधि,
माया रहित दिव्य नर वर की,
आरती कीजै श्री…….
जानकी पति सुर अधिपति जगपति,
अखिल लोक पालक त्रिलोक गति,
विश्व बंध अवंनह अमित गति,
एक मात्र गति सचराचर की,
आरती कीजै श्री………
शरणागति वत्सल व्रतधारी,
भक्त कल्प तरुवर असुरारी,
नाम लेत जग पावन कारी,
वानर सखा दीन दुःख हर की,
आरती कीजै श्री……
श्री राम जी की आरती का महत्व
पौराणिक कथाओं में प्रभु श्री राम को एक आदर्शवादी के रूप में दर्शाया गया है। श्री राम जी की ये आरती करने से मां लक्ष्मी भी अति प्रसन्न होती है। इसके साथ ही नकारात्मक ऊर्जा से छुटकारा मिल जाता है और सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है।
श्री राम जी की आरती करने के लाभ
- भगवान श्री राम की विधिवत आरती करने से जीवन के साथ-साथ घर से नकारात्मक ऊर्जा समाप्त हो जाती हैं और सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह बढ़ जाता है।
- श्री राम की आरती करने से जातक को हर एक दुख-दर्द से निजात मिल जाती है और घर में खुशियों की दस्तक होती है।
- भगवान राम की आरती करने से हर विघ्न से छुटकारा मिल जाता है।
- श्री राम की आरती करने से मां लक्ष्मी अति प्रसन्न होती हैं और जीवन में कभी भी धन-ऐश्वर्य की कमी नहीं होती है और हर इच्छा पूरी होती है।
- भगवान राम की आरती करने से उनके परम भक्त हनुमान जी भी अति प्रसन्न होते हैं।
- राम जी की आरती करने से जातकों को दैहिक, दैविक, और भौतिक पापों से मुक्ति मिल जाती है।
श्री राम जी की आरती कैसे करें
प्रभु श्री राम की आरती के लिए एक थाली में घी का दीपक और कपूर जला लें। इसके बाद आरती आरंभ करेंगे। आरती करते समय सबसे पहले भगवान के चरणों की चार बार, नाभि की दो बार, मुख की एक बार शरीर के पूरे अंगों में सात बार घुमा दें। इसके बाद आरती करने के साथ एक बार चारों ओर यानी चारों दिशाओं में घूमकर आरती कर लें। फिर भूल चूक के लिए माफी मांग लें। अंत में जल से आचमन कर दें।
श्री राम जी की आरती का सही समय?
मर्यादा पुरुषोत्तम राम की आरती सुबह और शाम के समय आरती कर सकते हैं। अगर आप दोनों समय आरती नहीं कर सकते हैं, तो कम से कम दिन में एक बार अवश्य करें।
श्री राम जी की आरती के बाद क्या करना चाहिए?
भगवान राम के साथ-साथ मां सीता और पूरे दरबार की आरती करने के बाद जल से आचमन कर लें। इसके बाद आपके द्वारा अनजाने में की गई भूल के लिए माफी मांग लें। फिर स्वयं के साथ वहां पर उपस्थित हर सदस्य को आरती दे दें।
श्री राम जी की आरती अर्थ सहित
आरती- आरती कीजै श्री रघुवर जी की,
सतचित आनंद शिव सुंदर की,
दशरथ तनय कौशल्या नंदन,
सुर, मुनि, रक्षक, दैत्य निकंदन,
अनुगत भक्त-भक्त उर चंदन,
मर्यादा पुरुषोत्तम वर की,
आरती कीजे श्री… ….
अर्थ- भगवान राम की आरती करें, जो शिव सुंदर है। दशरथ और कौशल्या के पुत्र जिन्होंने साधु-मुनियों को बचाने के लिए राक्षस, दैत्य का संहार किया था। आपके भक्त आपको चंदन लगा रहे हैं। भगवान राम की आरती करें
आरती- निर्गुण, सगुण, अनूप रूप निधि,
सकल लोक वन्दित विभिन्न विधि,
हरण शोक भयदायक नवनिधि,
माया रहित दिव्य नर वर की,
आरती कीजै श्री…….
अर्थ- भगवान श्री राम जिनका अपना कोई आकार नहीं है, वह साकार रूप में अवतार लेते हैं उनके जैसा कोई दूसरा नहीं है । भगवान श्रीराम सभी लोकों के पूज्य हैं और विभिन्न तरीकों से उनकी पूजा की जाती है। प्रभु श्री राम शोक और भय का नाश कर देते हैं और धन, वैभव आदि के स्वामी हैं। वे माया से परे और दिव्य पुरुष रूप में प्रकट होते हैं।
आरती- जानकी पति सुर अधिपति जगपति,
अखिल लोक पालक त्रिलोक गति,
विश्व बंध अवंनह अमित गति,
एक मात्र गति सचराचर की,
आरती कीजै श्री………
अर्थ- जानकी यानी माता सीता के पति, देवताओं के अधिपति और जगत के स्वामी के रूप में पूजा की जाती है। वह अखिल लोकों के पालक हैं और त्रिलोक यानी स्वर्ग, पृथ्वी, और पाताल) के संचारक भी हैं। वे विश्व के बंधन को पूरी तरह से समाप्त कर देने वाले वाले हैं सभी जीवों के एकमात्र गंतव्य हैं।
आरती- शरणागति वत्सल व्रतधारी,
भक्त कल्प तरुवर असुरारी,
नाम लेत जग पावन कारी,
वानर सखा दीन दुःख हर की,
आरती कीजै श्री……
अर्थ- भगवान श्री राम के शरण में आए भक्तों पर हमेशा दया बनाए रखते हैं और धर्म के प्रति प्रतिबद्धता रहते हैं। वह अपने भक्तों के लिए एक कल्पवृक्ष के समान खड़े रहते हैं, जो भक्त की हर एक इच्छा को पूर्ण करने में सक्षम हैं। वे असुरों के संहारक और दुष्टों के विनाश भी हैं। उनका नाम लेने मात्र से पूरा जगत पवित्र हो जाता है