प्रदेश प्रवक्ता कृष्ण कुमार जानू सोशल मीडिया के द्वारा लगातार कर रहे हैं हमला
झुंझुनूं, भाजपा की नवनियुक्त झुंझुनूं जिला अध्यक्ष हर्षिनी कुल्हरी की नियुक्ति के बाद पार्टी में आंतरिक नाराजगी और सोशल मीडिया हमला थमने का नाम नहीं ले रहा है। इस बार भाजपा प्रदेश प्रवक्ता कृष्ण कुमार जानू ने सीधे सोशल मीडिया पर फुल पेज विज्ञापन को लेकर हमला बोला है, जिसमें हर्षिनी कुल्हरी का बड़ा चित्र तो है, लेकिन भाजपा के शीर्ष नेताओं की फोटो गायब है।
जानू का आरोप: पार्टी अनुशासन दोहरा क्यों ?
जानू ने लिखा:
“राजेन्द्र राठौड़ साहब, मैंने RAS परीक्षा को लेकर अध्यक्ष जी के समर्थन में पोस्ट लिखी तो आपने अनुशासनहीनता कहा। अब एक समाचार पत्र में भाजपा जिलाध्यक्ष के लिए छपे विज्ञापन में प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री और राष्ट्रीय अध्यक्ष तक की फोटो नहीं है। क्या ये अनुशासनहीनता नहीं है?”
उन्होंने यह भी जोड़ा कि क्या अब अध्यक्ष से इस विषय में बात कर कार्रवाई की जाएगी या पार्टी की नजरें सिर्फ कुछ चेहरों पर ही केंद्रित हैं?
विज्ञापन बना विवाद की जड़
झुंझुनूं के एक बड़े दैनिक अखबार में हर्षिनी कुल्हरी के सम्मान में फुल पेज विज्ञापन प्रकाशित हुआ, जिसमें उनका एकमात्र बड़ा चित्र था। इस पर पार्टी के प्रोटोकॉल को नजरअंदाज करने के आरोप लगने लगे।
पार्टी प्रोटोकॉल के अनुसार ऐसे विज्ञापनों में आमतौर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा जैसे नेताओं की तस्वीरें अवश्य लगाई जाती हैं।
अब तक प्रेस वार्ता क्यों नहीं ?
राजनीतिक परंपरा रही है कि जिला अध्यक्ष बनने के बाद संबंधित नेता मीडिया को आमंत्रित कर संवाद करते हैं।
लेकिन हर्षिनी कुल्हरी ने अभी तक प्रेस वार्ता आयोजित नहीं की है। इसके बजाय कुछ बड़े अखबारों में विज्ञापन और कुछ सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसरों से इंटरव्यू कराना ही सामने आया है।
परिवारवाद की आशंका फिर चर्चा में
पूर्व सांसद नरेंद्र कुमार की पुत्रवधू होने के चलते पार्टी में परिवारवाद का आरोप फिर गर्माया है।
कुछ भाजपा नेताओं की आशंका है कि यह नियुक्ति संगठन को “एक परिवार तक सीमित” करने का प्रयास हो सकती है।
पूर्व में भी हर्षिनी की नियुक्ति पर दौड़ में शामिल अन्य नेताओं की उपेक्षा को लेकर सवाल उठे थे।
राजनीतिक गलियारों में गर्मी
कृष्ण जानू की पोस्ट के बाद झुंझुनूं भाजपा और प्रदेश संगठन में हलचल बढ़ गई है।
उनकी पोस्ट अप्रत्यक्ष रूप से अनुशासनात्मक कार्रवाई की मांग करती दिख रही है, जिससे इस विवाद ने अब राजेंद्र राठौड़ तक को घेर लिया है।