परिजनों का आरोप बिना अनुमति स्विमिंग पूल ले गए टीचर, मासूम की गई जान
झुंझुनूं, मंड्रेला बाईपास स्थित एक निजी स्विमिंग पूल में शुक्रवार को 10 वर्षीय मयंक की डूबने से दर्दनाक मौत हो गई। बच्चा ट्यूशन टीचर के साथ गया था, लेकिन परिजनों को इसकी कोई जानकारी नहीं दी गई थी।
मुख्य बिंदु – संक्षेप में:
- मयंक (10), निवासी लोयल, सैनिक स्कूल की तैयारी कर रहा था।
- ट्यूशन टीचर बच्चों को नहलाने के नाम पर निजी पूल ले गए।
- पूल में टीचर खुद भी नहा रहे थे, बच्चे की निगरानी नहीं की।
- गहराई में फिसलने से मयंक की डूबकर मौत।
- बिना माता-पिता की अनुमति बच्चों को ले जाना बना बड़ा सवाल।
- कोचिंग सेंटर पर लापरवाही का आरोप, पुलिस ने जांच शुरू की।
घटना का विवरण:
मासूम मयंक सुबह अल्फा एकेडमी ट्यूशन सेंटर में पढ़ाई के लिए गया था। लेकिन शिक्षक बच्चों को पढ़ाने की बजाय उन्हें मंड्रेला बाईपास स्थित एक निजी स्विमिंग पूल पर ले गए। परिजनों को इसकी कोई सूचना नहीं दी गई।
पूल की गहराई लगभग 4.5 फीट थी, जहां मयंक को तैरना सिखाया जा रहा था। इस दौरान संतुलन बिगड़ने से वह गहरे पानी में चला गया और डूब गया। किसी को भनक तक नहीं लगी। जब स्विमिंग पूल संचालक ने उसे बेसुध देखा, तब जाकर उसे अस्पताल ले जाया गया।
डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया।
घटना की सूचना मिलते ही परिजन और पुलिस बीडीके अस्पताल पहुंचे। कोतवाली पुलिस ने शव को मोर्चरी में रखवाया और मामले की जांच शुरू की है।
प्रश्न जो उठ रहे हैं:
- क्या ट्यूशन सेंटर के पास बच्चों को ऐसी गतिविधियों में ले जाने की अनुमति थी?
- क्या बच्चों की सुरक्षा को लेकर कोई तैयारी या अनुमति थी?
- क्या यह घटना गैर इरादतन हत्या की श्रेणी में नहीं आती?
जांच व प्रतिक्रिया:
परिजनों और ग्रामीणों में भारी आक्रोश है। वे कोचिंग सेंटर संचालक के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग कर रहे हैं।
कोतवाली पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।
समाज का सवाल:
यह मामला न केवल एक मासूम की मौत का है, बल्कि यह सवाल भी खड़ा करता है कि निजी कोचिंग संस्थान बच्चों की सुरक्षा के प्रति कितने गंभीर हैं? क्या सिर्फ शिक्षण देना काफी है, या जिम्मेदारी और जवाबदेही भी जरूरी है?
आप क्या सोचते हैं?
क्या प्रशासन को ऐसे कोचिंग सेंटर्स पर तुरंत कार्रवाई करनी चाहिए?
क्या यह मामला सिर्फ दुर्घटना है या आपराधिक लापरवाही?