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Jhunjhunu Video News: झुंझुनू: ‘जनता के अफ़सर’ जाते – जाते ही एक्शन में क्यों आए ?

सूचना एवं जनसम्पर्क विभाग झुंझुनू ने जिला कलक्टर रामावतार मीणा को प्रेस नोट में बताया ‘जनता के अफ़सर’

बात निकली बना मुद्दा : पोस्टमॉर्टेम भी होगा

नवागंतुक जिला कलेक्टर इससे सीख जरूर ले सकते हैं!

झुंझुनू, राजस्थान सरकार ने भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों की तबादला सूची जारी की है जिसमें निवृतमान जिला कलेक्टर रामावतार मीणा का तबादला सचिवालय जयपुर में निदेशक जांच विभाग में कर दिया गया है। वही अगले ही दिन आदेश में डॉक्टर अरुण गर्ग को झुंझुनू का जिला कलेक्टर नियुक्त किया गया। हाल फिलहाल में ही झुंझुनू जिला कलेक्टर आदेशों और निर्देशों में ही ज्यादा एक्टिव नजर आए हैं, ऐसे बहुत से निर्देश और आदेश सामने आए जिसमे काटली नदी को अतिक्रमण मुक्त करवाकर पुनर्जीवित करने का भी मामला है। यह मांग विभिन्न संगठनों के साथ मिडिया के द्वारा भी समय समय पर संज्ञान में लाइ जाती रही है। इस एक्शन के मोड़ के पीछे के क्या सच्चाई है ?

दरअसल आपकी जानकारी के लिए बता दें कि पिछले दिनों मुख्य सचिव सुधांशु पंत ने सीकर में अधिकारियों की बैठक ली थी तो सूत्रों के हवाले से मीडिया में खबर सामने आई थी कि इस बैठक में झुंझुनू जिला कलेक्टर रामावतार मीना सरकारी योजनाओं के बारे में ही ठीक से नहीं बता पाए जिसके चलते सुधांशु पंत ने बैठक के दौरान ही उनकी जमकर खिंचाई की थी। वहीं इसके बाद से ही संभागीय आयुक्त के अंतर्गत उनके ऊपर जानकारी के अनुसार भूमि से जुड़े और हथियारों के लाइसेंस को लेकर जांच बैठा दी गई। इसके बाद से ही सूचना एवं जनसंपर्क विभाग होश में आया और एक के बाद एक सरकारी योजनाओं की जानकारी और समाचार मीडिया से साझा किए जाने लगे।

वही राम अवतार मीणा ने अपने कार्यकाल के दौरान क्या क्या कार्य किए हैं उनकी भी समाचार सामने आने लगे। अब सवाल खड़ा होता है कि झुंझुनू जिला कलेक्टर रामावतार मीना क्या मुख्य सचिव सुधांशु पंत की खिचाई के बाद में एक्शन मोड में आए हैं या फिर पहले से ही वह सामान्य कार्य कर रहे थे लेकिन झुंझुनू सूचना जनसंपर्क विभाग उनको हल्के में ले रहा था और सरकारी योजनाओं की सूचना देने में हमेशा फिसड्डी रहने के साथ-साथ वह झुंझुनू जिला कलेक्टर द्वारा किए जा रहे कार्यों को भी मीडिया कर्मियों के साथ प्रेस विज्ञप्ति के द्वारा सांझा करने में नाकाम साबित हुआ।

दरअसल बता दें कि सुधांशु पंत की घटना के बाद ही कुछ समाचार सूचना एवं जनसंपर्क विभाग झुंझुनू द्वारा मीडिया से साझा किए गए जैसे बिना छुट्टी लिए ही लगातार कार्य कर रहे हैं झुंझुनू जिला कलेक्टर, झुंझुनू जिला कलेक्टर से परिवादी कभी भी आकर मिल सकता है। इसके अलावा लगातार यह सिलसिला चलता रहा और अब जब उनकी विदाई का समय आया है तो लम्बी चौड़ी उपलब्धियों का उल्लेख करते हुए सूचना जनसंपर्क विभाग ने उनको जनता के अफसर कहकर समाचार में संबोधित किया है। इस पूरे विवरण में सवाल खड़ा होता है कि क्या वास्तव में मुख्य सचिव सुधांशु पंत की खिचाई के बाद में जिला कलेक्टर रामावतार मीना एक्टिव हुए थे या वह पहले से ही एक्टिव थे। क्या उनके द्वारा किए गए कार्यों को सूचना एवं जनसंपर्क विभाग मीडिया कर्मियों और आम जनता तक पहुंचने में नाकामयाब रहा ? यह भी विचारणीय है।

बहरहाल इनमें कोई सा भी बिंदु सत्य हो लेकिन आगामी समय में नवागंतुक जिला कलेक्टर इससे सीख जरूर ले सकते हैं कि सरकारी योजनाओं और जिला प्रशासन कितना भी अच्छा कार्य कर ले लेकिन जब तक सूचना जनसंपर्क विभाग झुंझुनू पर नकेल नहीं खींची जाएगी तब तक आम जनता तक सरकार और प्रशासन के प्रयास नहीं पहुंचेंगे। नवागंतुक जिला कलेक्टर को ध्यान में रखना होगा कि दिन में आराम या अन्य नेतागिरी जैसे काम करने वाला सूचना एवं जनसंपर्क विभाग झुंझुनू जो अमूमन देर रात तक पत्रकारों को समाचार भेजता है जिसके चलते वह प्रकाशन में भी नहीं आ पाते हैं। इसका खामियाजा जिला प्रशासन और सरकार को उठाना पड़ता है।

सूचना एवं जनसंपर्क विभाग सरकार का आंख नाक कान कहा जाता है लेकिन जनता तक सरकार के प्रयास और योजनाएं पहुंचने वाले मीडिया कर्मियों और सूचना एवं जनसंपर्क विभाग में ही अच्छा तालमेल नहीं होगा तो सारे के सारे प्रयास धरे रह जाएंगे। इसलिए चौथे स्तंभ को हल्के में न लेकर इसके साथ अच्छा सामंजस्य बैठाकर समय पर जिला प्रशासन और सरकार की सूचनाओं साझा करने में ही इस विभाग की सार्थकता बनी रह सकती है। शेखावाटी लाइव ब्यूरो रिपोर्ट झुंझुनू