लोक अभियोजक की दमदार पैरवी: मामले में 22 गवाह और 52 दस्तावेजी साक्ष्य पेश
झुंझुनूं में नाबालिग दुष्कर्म मामले का फैसला
झुंझुनूं जिले के मेहाड़ा थाना क्षेत्र से जुड़े नाबालिग दुष्कर्म मामले में न्यायालय ने बड़ा फैसला सुनाया है। घटना के समय पीड़िता की उम्र 14 वर्ष 8 माह थी।
मामले की पृष्ठभूमि
परिवादी ने 17 फरवरी 2023 को थाना मेहाड़ा में रिपोर्ट दर्ज कराई थी। रिपोर्ट के अनुसार, 16 फरवरी 2023 की रात आरोपी ने पीड़िता के घर में घुसकर घटना को अंजाम दिया।
बाद में पीड़िता को डरा-धमकाकर मोटरसाइकिल पर बैठाकर अन्य आरोपियों के साथ अलग स्थान पर ले जाया गया, जहां उसके साथ मारपीट व सामूहिक दुष्कर्म किया गया।
कुल गवाह और दस्तावेज
- कुल गवाह: 22
- कुल दस्तावेज: 52
न्यायालय ने सभी साक्ष्यों और गवाहों के आधार पर आरोप सिद्ध माने।
दोषियों को सुनाई गई सजा
न्यायालय ने तीनों अभियुक्तों को गंभीर धाराओं में दोषी ठहराते हुए निम्न दंड सुनाए—
अभियुक्त: सचिन कुमार
- धारा 376 (डी) IPC: आजीवन कठोर कारावास + ₹50,000 जुर्माना
- धारा 5/6 POCSO एक्ट: 20 वर्ष कठोर कारावास + ₹50,000 जुर्माना
- अन्य धाराओं में कुल मिलाकर ₹12,000 अतिरिक्त जुर्माना
कुल अर्थदंड: ₹1,12,000
अभियुक्त: रोहित
- धारा 376 (डी) IPC व 16/17 POCSO एक्ट: आजीवन कठोर कारावास + ₹50,000 जुर्माना
- अपहरण, मारपीट व अन्य धाराओं में सजा
कुल अर्थदंड: ₹1,11,000
अभियुक्त: प्रदीप उर्फ मोनू
- धारा 376 (डी) IPC व 16/17 POCSO एक्ट: आजीवन कठोर कारावास + ₹50,000 जुर्माना
- कुल अर्थदंड: ₹50,000
जुर्माना नहीं भरने पर अतिरिक्त सजा
न्यायालय ने स्पष्ट किया कि अर्थदंड की अदायगी नहीं होने पर दोषियों को अतिरिक्त साधारण कारावास भुगतना होगा।
राज्य की ओर से प्रभावी पैरवी
प्रकरण में राज्य सरकार की ओर से विशेष लोक अभियोजक सुरेन्द्र सिंह भामू ने प्रभावी पैरवी की, जिसके चलते दोषियों को कठोर सजा सुनिश्चित हो सकी।