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Jhunjhunu Video News : झुंझुनू एसपी शरद चौधरी एपीओ, सामने आई वजह!

जनसुनवाई में पत्रकारों की बाड़ेबंदी और पुलिस विवादों ने बढ़ाई मुश्किलें

झुंझुनूं. राज्य सरकार ने आदेश जारी झुंझुनूं एसपी शरद चौधरी को पदस्थापना की प्रतीक्षा में रखा है। कार्मिक विभाग ने हालांकि आदेश में एपीओ करने के कारण का उल्लेख नहीं किया है। वही पहले दो बड़े समाचार पत्रों की बात करे तो एक ने इस बारे में लिखा कि….

पुलिस मुख्यालय से मिली शिकायतें

सूत्रों के मुताबिक, सरकार को झुंझुनूं और हनुमानगढ़ एसपी के खिलाफ सीधे शिकायतें मिली थीं। मुख्यमंत्री जनसुनवाई के दौरान भी पुलिस प्रशासन के खिलाफ कई लोगों ने आरोप लगाए। वहीं, कुछ जनप्रतिनिधियों की नाराजगी भी सामने आई थी।

वही दूसरे समाचार पत्र ने लिखा कि एसपी शरद चौधरी एपीओ, सीएमओ तक हुई थी शिकायत, सामने आ रहे थे पुलिस से जुड़े विवाद। खबर विस्तार में लिखा गया कि…

खेतड़ी कस्टडी डेथ मामला

पिछले महीने खेतड़ी थाना क्षेत्र में एक युवक की पुलिस हिरासत में मौत हो गई थी। इसके बाद थाने का घेराव हुआ और पूरे स्टाफ को लाइन हाजिर करना पड़ा। विधायक धर्मपाल गुर्जर ने इस मामले को गृह मंत्री और मुख्यमंत्री के समक्ष उठाया।

बिना दोष सिद्ध पूरे थाने को लाइन हाजिर करना पुलिसकर्मियों के मनोबल के खिलाफ था।
धर्मपाल गुर्जर, विधायक खेतड़ी

मीडिया की बाड़ेबंदी ने बढ़ाया विवाद

सबसे विवादास्पद मुद्दा रहा पत्रकारों की बाड़ेबंदी।
मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा की जनसुनवाई के दौरान झुंझुनूं सर्किट हाउस में पत्रकारों को टेंट में बंद कर दिया गया, और उन पर पुलिस निगरानी भी लगाई गई।

कुछ पत्रकारों ने अंदर जाकर वीडियो बनाए, जिससे यह मामला सोशल मीडिया और चौपालों पर वायरल हो गया।

“यह हमारे मौलिक अधिकारों का हनन था, हमने सीएम को ज्ञापन सौंपा।”
स्थानीय पत्रकार संघ का बयान

जिला प्रशासन पर भी उठे सवाल

सूत्रों के अनुसार, जिला प्रशासन ने भी पत्रकारों को इसलिए रोका ताकि सरकारी विफलताएं उजागर न हो सकें। वहीं अन्य जिलों की तुलना करने पर सामने आया कि ऐसी पाबंदी केवल झुंझुनूं में ही लागू की गई थी।

आने वाले दिनों में और तबादले संभव

राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि झुंझुनूं जिला प्रशासन में भी बड़े फेरबदल हो सकते हैं। क्योंकि इस पूरे घटनाक्रम में केवल पुलिस ही नहीं, प्रशासन भी बराबर का जिम्मेदार माना जा रहा है।