टेलीग्राम लिंक से मिली थी 80 हजार की जॉब, बन गया मौत का जाल
झुंझुनूं,झुंझुनूं जिले के मणकसास गांव के शैलेश मीणा और पोंख गांव के अक्षय मीणा विदेश में नौकरी के बहाने म्यांमार के साइबर ठगी कैंप में फंस गए थे।
दोनों युवक अब सुरक्षित रूप से भारत लौट आए हैं।
टेलीग्राम लिंक से शुरू हुआ जाल
दोनों युवकों को टेलीग्राम ग्रुप पर थाईलैंड में ₹80,000 मासिक वेतन वाली नौकरी का विज्ञापन मिला।
एजेंटों ने उनसे संपर्क कर वीजा और फ्लाइट टिकट की व्यवस्था की और उन्हें बैंकॉक भेज दिया।
बैंकॉक पहुंचने के बाद उन्हें कार से म्यांमार के केके पार्क ले जाया गया।
वहां एजेंटों ने उन्हें 4–5 लाख रुपए में साइबर ठगी करने वाली चीनी कंपनियों को बेच दिया।
जबरन कराया जाता था ऑनलाइन ठगी का काम
अगले दिन से दोनों को ऑनलाइन फ्रॉड और ठगी की ट्रेनिंग दी जाने लगी।
जब युवकों ने यह काम करने से इनकार किया, तो उन्हें शारीरिक और मानसिक रूप से प्रताड़ित किया गया।
उन्होंने बताया कि केके पार्क में सैकड़ों विदेशी युवक-युवतियों को जबरन काम कराया जाता है,
जहां चीन से संचालित कई साइबर ठगी कंपनियां सक्रिय हैं।
गोलीबारी और भगदड़ में बचाई जान
करीब एक महीने पहले कैंप में गोलीबारी और बमबारी की घटना हुई, जिससे भगदड़ मच गई।
इस दौरान कुछ लोग मारे गए जबकि कई युवक सीमा पार कर थाईलैंड पहुंचने में सफल रहे।
शैलेश और अक्षय भी अपनी जान बचाकर थाईलैंड पहुंचे, जहां से उन्हें भारत सरकार की सहायता से वतन लाया गया।
भारत सरकार की मदद से वापसी
भारत के गृह मंत्रालय ने थाईलैंड में फंसे 500 भारतीय युवकों को वापस लाने का अभियान चलाया।
उसी के तहत शैलेश और अक्षय भी भारत लौटे।
दिल्ली पहुंचने पर उन्हें जयपुर साइबर सेल को सौंपा गया, जहां से गुढ़ागौड़जी थाना पुलिस ने उन्हें लाकर
मेडिकल जांच और दस्तावेजी कार्रवाई पूरी की।
इसके बाद दोनों को परिजनों के सुपुर्द कर दिया गया।
पुलिस ने दी चेतावनी
पुलिस अधिकारियों ने बताया कि इस तरह के ऑनलाइन जॉब ऑफर और टेलीग्राम ग्रुप विज्ञापन पूरी तरह फर्जी हैं।
उन्होंने युवाओं से अपील की कि विदेशी नौकरी के लालच में आए ऑफर को बिना सत्यापन के स्वीकार न करें।