साढ़े पाँच साल की बालिका से दुष्कर्म करने वाले को उम्रकैद
पुलिस की तत्परता और न्यायालय की सख्ती से 6 माह में सजा
बुहाना में बालिका से दुष्कर्म मामले में त्वरित न्याय
झुंझुनूं जिले की बुहाना पुलिस ने एक साढ़े पाँच वर्ष की अबोध बालिका से दुष्कर्म मामले में केवल छह माह में न्याय दिलाकर मिसाल कायम की है। अदालत ने आरोपी रवि कुमार उर्फ कालिया को आजीवन कठोर कारावास और ₹50,000 के जुर्माने की सजा सुनाई है।
पुलिस की त्वरित कार्रवाई
पुलिस अधीक्षक बृजेश ज्योति उपाध्याय (IPS) के निर्देशन में, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक देवेंद्र सिंह राजावत (RPS) के मार्गदर्शन और वृताधिकारी नोपाराम भाकर (RPS) की सुपरविजन में थानाधिकारी उमराव जाट के नेतृत्व में टीम गठित की गई थी।
पुलिस ने आरोपी रवि कुमार को घटना के तुरंत बाद गिरफ्तार किया और मात्र 16 दिनों में अनुसंधान पूर्ण कर न्यायालय में चालान पेश किया।
घटना का विवरण
पीड़िता की मां ने रिपोर्ट दर्ज कराई थी कि शाम के समय आरोपी रवि कुमार उर्फ कालिया घर आया और बच्ची को खिलाने के बहाने अपने घर ले गया। कुछ देर बाद जब बच्ची लौटी, तो उसने गलत कार्य किए जाने की बात बताई।
मामले की गंभीरता को देखते हुए पुलिस ने तुरंत मेडिकल जांच, साक्ष्य संकलन और FSL रिपोर्ट प्रक्रिया पूरी की।
केस ऑफिसर स्कीम के तहत त्वरित ट्रायल
यह मामला केस ऑफिसर स्कीम के तहत चिन्हित किया गया, जिसमें स्वयं थानाधिकारी को केस ऑफिसर नियुक्त किया गया।
पुलिस ने सभी गवाहों की उपस्थिति समय पर सुनिश्चित करवाई और मात्र 6 माह की अवधि में ट्रायल पूर्ण करवा दिया।
न्यायालय का फैसला
माननीय पोक्सो कोर्ट झुंझुनूं ने 30 अक्टूबर 2025 को निर्णय सुनाते हुए आरोपी रवि कुमार को आजीवन कठोर कारावास और ₹50,000 के अर्थदंड की सजा दी।
अधिकारियों ने की प्रशंसा
पुलिस अधीक्षक उपाध्याय ने कहा कि,
“बुहाना पुलिस ने त्वरित कार्रवाई कर यह साबित किया है कि यदि साक्ष्य मजबूत हों और टीम तत्परता से काम करे तो पीड़ित को शीघ्र न्याय मिल सकता है।”
उन्होंने टीम को सराहनीय कार्य के लिए सम्मानित करने की घोषणा की।
प्रमुख बिंदु
- घटना बुहाना थाना क्षेत्र की है
- 5.5 वर्ष की बालिका से दुष्कर्म का मामला
- आरोपी रवि कुमार उर्फ कालिया को उम्रकैद
- 6 माह में केस का निपटारा, केस ऑफिसर स्कीम के तहत कार्रवाई
निष्कर्ष
यह मामला राजस्थान पुलिस की केस ऑफिसर स्कीम की सफलता का उत्कृष्ट उदाहरण है, जिसमें त्वरित न्याय, साक्ष्य-आधारित जांच और सख्त सजा से बाल अपराधों के खिलाफ सख्त संदेश गया है।