सैन्य सम्मान के साथ किया इकबाल को सुपुर्द-ए-खाक
लालपुर का लाल देश पर न्यौछावर
झुंझुनूं जिले का लालपुर गांव आज गर्व और ग़म से भर गया। गांव के वीर सपूत हवलदार इकबाल खान (42) की पार्थिव देह जब पहुंची तो चारों ओर भारत माता की जय के नारों से गूंज उठा।
सैन्य सम्मान के साथ अंतिम संस्कार
शहीद का आज दोपहर करीब 12:30 बजे सैन्य सम्मान से अंतिम संस्कार किया गया। सेना के अधिकारियों ने उनकी 10 साल की बेटी मायरा को तिरंगा सौंपा। इस दौरान माहौल बेहद भावुक हो गया।
परिवार की सैन्य परंपरा
इकबाल खान का परिवार तीन पीढ़ियों से सेना में सेवा देता आ रहा है।
- पिता यासीन खान भारतीय सेना में हवलदार पद से रिटायर हुए।
- दादा अफजल खान भी सैनिक रहे।
- अब बेटा इकबाल देश पर कुर्बान हो गया।
शहादत की कहानी
26 अगस्त की सुबह करीब 5 बजे इकबाल खान 10 हजार फीट की ऊंचाई पर गश्त पर थे। अचानक सीने में तेज दर्द उठा और डॉक्टर को बुलाने से पहले ही उन्होंने अंतिम सांस ली।
सेना ने किया गौरव का सम्मान
मेजर सुनील कुमार सिंह ने बताया –
“हवलदार इकबाल खान ने बेहद कठिन परिस्थितियों में देश सेवा की। उनकी शहादत पूरे देश के लिए गर्व की बात है।”
परिवार में शोक की लहर
शहीद की पत्नी नसीम बानो और बेटी मायरा गहरे सदमे में हैं। बहन रुबीना का रो-रोकर बुरा हाल है। पूरा क्षेत्र इस शहादत को गौरव और दुख का संगम मान रहा है।