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‘अपना घर आश्रम’ का शुभारंभ, निवृत्तिनाथ महाराज बोले— सेवा ही श्रेष्ठ धर्म

Nivruttinath Maharaj inaugurates Apna Ghar Ashram in Ratangarh

रतनगढ़ असहाय, बीमार और आश्रयहीन लोगों की सेवा के उद्देश्य से रतनगढ़ में ‘अपना घर आश्रम’ का शुभारंभ रविवार को हुआ। कार्यक्रम का शुभारंभ संत निवृत्तिनाथ महाराज के सान्निध्य में दीप प्रज्ज्वलन और भारत माता पूजन के साथ किया गया।

सेवा ही श्रेष्ठ धर्म

महाराज ने आश्रम शब्द का अर्थ समझाते हुए कहा कि जहां अपनापन मिले और मन को शांति मिले, वही सच्चा आश्रम है। उन्होंने कहा कि “सेवा ही परम धर्म है। असहाय और पीड़ितजनों की निस्वार्थ सेवा करने से ही श्रेष्ठत्व प्राप्त होता है।”

उन्होंने यह भी कहा कि सेवा प्रारंभ करने के लिए किसी बड़ी योजना की आवश्यकता नहीं होती— बस संकल्प और समर्पण की जरूरत होती है। सेवा पथ पर चलने वालों पर ईश्वर की कृपा स्वतः बरसती है।

कार्यक्रम में हुआ भावपूर्ण स्वागत

समारोह की अध्यक्षता संस्था के राष्ट्रीय सचिव विनोद कुमार सिंघल ने की और संस्था की कार्य रिपोर्ट प्रस्तुत की। मुख्य ट्रस्टी डॉ. विजय प्रकाश गोयल ने परियोजना की पृष्ठभूमि बताते हुए कहा कि यह आश्रम समाज के कमजोर वर्गों के लिए समर्पण का प्रतीक बनेगा।

पूर्व पालिकाध्यक्ष संतोष कुमार इंदौरिया ने कहा कि “अस्वस्थ और असहाय लोगों की प्रभु रूप में सेवा प्रेरणादायक कार्य है।”

अतिथियों और सहयोगियों का सम्मान

कार्यक्रम में भामाशाह शुभकरण बैद, डॉ. जय प्रकाश गोयल, समाजसेवी देवेंद्र यादव सहित कई विशिष्ट अतिथि उपस्थित रहे। आश्रम व्यवस्था में आर्थिक योगदान देने वाले 50 सहयोगियों को भामाशाह के रूप में सम्मानित किया गया।

ट्रस्ट के कोषाध्यक्ष नरेंद्र झंवर ने समस्त सहयोगियों का आभार प्रकट किया, जबकि संचालन ट्रस्ट सचिव कुलदीप व्यास ने किया।

उपस्थित गणमान्य व्यक्ति

कार्यक्रम में विश्वनाथ सोनी, सीताराम जांगिड़, महावीर रामगढ़िया, डॉ. गोपाल शर्मा, दीनदयाल खेतान, विपिन गोयल सहित बड़ी संख्या में समाजसेवी और श्रद्धालु उपस्थित रहे।