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Churu News: फर्जी प्रमाणपत्र से चुनाव लड़ने वाली सरपंच को 3 साल की सजा

Sardarshahar court sentences woman sarpanch for fake certificate case

फर्जी प्रमाणपत्र लगाकर चुनाव लड़ी सरपंच और स्कूल प्रधानाध्यापक को सजा

चूरू, चूरू जिले के सरदारशहर में न्यायालय ने ग्राम पंचायत रंगाईसर की सरपंच संतोष देवी को फर्जी प्रमाणपत्र लगाकर चुनाव लड़ने के मामले में दोषी पाते हुए तीन वर्ष के कारावास की सजा सुनाई है।


कोर्ट ने दो आरोपियों को सजा सुनाई

एसीजेएम नवनीत गोदारा की अदालत ने न केवल संतोष देवी, बल्कि फर्जी प्रमाणपत्र जारी करने वाले प्रधानाध्यापक लीलाधर पूनिया को भी समान सजा दी है।
दोनों को भारतीय न्याय संहिता (BNS) की विभिन्न धाराओं के तहत तीन-तीन वर्ष का कारावास और जुर्माने की सजा दी गई।


शिकायत से शुरू हुआ मामला

मामला वर्ष 2015 के पंचायत चुनावों से जुड़ा है।
उसी दौरान सरपंच पद की प्रत्याशी कमला ने सरदारशहर थाने में शिकायत दर्ज करवाई थी कि संतोष देवी ने आठवीं कक्षा का फर्जी प्रमाणपत्र लगाकर चुनाव लड़ा।
शिकायत में कहा गया कि संतोष देवी ने सरस्वती उच्च प्राथमिक विद्यालय, ढिंगारला (राजगढ़) से प्रमाणपत्र दिखाया, जबकि विद्यालय को उस समय मान्यता प्राप्त नहीं थी


पुलिस जांच में निकला सच

जांच में सामने आया कि संतोष देवी ने 1998-99 में आठवीं उत्तीर्ण होने का दावा किया था, लेकिन वह विद्यालय में पढ़ी ही नहीं थी
स्कूल के प्रधानाध्यापक लीलाधर पूनिया ने फर्जी प्रमाणपत्र जारी कर उन्हें चुनाव में भाग लेने में मदद की।
पुलिस जांच पूरी होने के बाद दोनों के खिलाफ अदालत में चालान पेश किया गया।


अभियोजन पक्ष ने पेश किए 15 गवाह

अभियोजन पक्ष की ओर से 15 गवाह और 45 दस्तावेज अदालत में पेश किए गए।
सहायक अभियोजन अधिकारी डॉ. प्रकाश गढ़वाल ने मामले की पैरवी की।
अदालत ने दोनों अभियुक्तों को दोषी मानते हुए सजा सुनाई और टिप्पणी की कि “फर्जी प्रमाणपत्र से चुनाव प्रक्रिया में भाग लेना लोकतांत्रिक व्यवस्था के साथ गंभीर धोखाधड़ी है।”


कोर्ट का सख्त संदेश

कोर्ट ने कहा कि लोकतांत्रिक संस्थाओं में ईमानदारी और पारदर्शिता आवश्यक है, और इस तरह की फर्जीवाड़ा लोकतंत्र की जड़ों को कमजोर करता है।
फैसला क्षेत्र में चर्चा का विषय बना हुआ है और लोग इसे भविष्य में होने वाले पंचायत चुनावों के लिए नजीर मान रहे हैं।