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22 साल की उम्र में दुनिया छोड़ी, जाते-जाते दो को दे गई रोशनी

Garvita’s family donates eyes in Rishikesh, two regain vision

रतनगढ़ की गर्विता ने मरणोपरांत दो को दी रोशनी

रतनगढ़ की बेटी बनी नेत्रदान की मिसाल

रतनगढ़, — जीवन की सबसे बड़ी पीड़ा को सहते हुए भी मानवता की मिसाल पेश की रतनगढ़ के एक परिवार ने।

पूर्व पालिकाध्यक्ष लिट्टू कल्पना कांत की इकलौती पुत्री गर्विता उर्फ शैली का निधन 24 सितंबर को ऋषिकेश में एक हादसे के दौरान हो गया।


अंतिम विदाई में मिला जीवनदान का प्रस्ताव

जब परिवारजन गर्विता का पार्थिव शरीर लेने AIIMS ऋषिकेश पहुंचे, तब नेत्र विभाग ने उनकी आंखें डोनेट करने का प्रस्ताव रखा।

ताऊ ज्योति कल्पना कांत और चाचा विकास रिणंवा के सामने था मुश्किल निर्णय —
एक ओर जवान बेटी की पार्थिव देह, दूसरी ओर दो लोगों को नई ज़िंदगी देने का अवसर।


“हमारी बिटिया किसी की रोशनी बन जाए”

बिना देर किए दोनों ने नेत्रदान की सहमति दे दी।
डॉक्टर्स ने बताया कि गर्विता की आंखों से दो नेत्रहीनों को रोशनी मिलेगी।

“हमारी बिटिया भले इस संसार में नहीं रही, लेकिन उसके जाने के बाद भी वो दो परिवारों की आंखों में रोशनी बन गई,”
परिवारजन


मिला सम्मान पत्र, समाज में प्रशंसा की लहर

गर्विता की आंखें डोनेट करने के बाद परिवार को AIIMS ऋषिकेश की ओर से नेत्रदान प्रमाण पत्र भी सौंपा गया।

इस भावनात्मक और प्रेरणादायक कदम की पूरे रतनगढ़ और शेखावाटी क्षेत्र में सराहना हो रही है।