रतनगढ़, (चूरू)। अणुव्रत समिति, रतनगढ़ द्वारा स्थानीय आदिनाथ जैन भवन में तीन दिवसीय जीवन विज्ञान संगोष्ठी का आयोजन किया गया।
इस अवसर पर मुख्य वक्ता साध्वी संयम श्री ने कहा कि शिक्षा के व्यापक प्रसार के बावजूद उसमें जीवनोपयोगी ज्ञान की कमी है, जिसे जीवन विज्ञान पूरा करता है।
जीवन विज्ञान से मिलता है जीवन को संतुलन
साध्वी संयम श्री ने कहा कि जीवन विज्ञान व्यक्ति को आत्मिक विकास और सही दृष्टिकोण सिखाता है।
उन्होंने कहा—“भोजन तभी लाभकारी होता है जब वह अच्छे से पच जाए, उसी प्रकार जीवन के सुख, धन, प्रसिद्धि और ज्ञान का भी पचना जरूरी है, और यह कार्य जीवन विज्ञान के अभ्यास से ही संभव है।”
साध्वियों ने बताए जीवन विज्ञान के प्रयोग
साध्वी सहजप्रभा जी ने संगोष्ठी में बताया कि जीवन विज्ञान अपनाने से जीवन में शांति, संयम और संतुलन आता है।
वहीं साध्वी संप्रतिप्रभा जी ने जीवन विज्ञान के विभिन्न प्रयोगों और उनके व्यावहारिक उपयोगों पर प्रकाश डाला।
कार्यक्रम का शुभारंभ और आयोजन
अणुव्रत समिति, रतनगढ़ के सह मंत्री नरेंद्र सांकृत्य ने बताया कि कार्यक्रम का शुभारंभ नमोकार मंत्र और अणुव्रत गीत से किया गया।
समिति अध्यक्ष कुलदीप व्यास ने उपस्थित साधकों का स्वागत किया और आगामी दो दिनों की रूपरेखा साझा की।
उपस्थित गणमान्य
इस अवसर पर जैन श्वेतांबर तेरापंथी सभा के संरक्षक नथमल तातेड़, अध्यक्ष मोतीलाल तातेड़, राजकुमार बैद, दौलतराम दायमा, वेदप्रकाश चौधरी, बाबूलाल कोचर, उम्मेद दूगड़, प्रेम बैद, सरिता बैद, कमला हीरावत और मंजू बैद सहित अनेक श्रावक-श्राविकाएं उपस्थित रहीं।