चूरू। रतनगढ़ तहसील के पायली गांव स्थित ओम बन्ना धाम के 13वें वार्षिकोत्सव पर जारी सात दिवसीय नानी बाई का मायरा कथा के पांचवें दिन बुधवार को कथा स्थल भक्ति और आध्यात्मिक ऊर्जा से गूंज उठा।
कथा वाचक रणवीर भाई शेखावाटी वाले ने कहा कि “जब-जब भक्त संकट में होता है, भगवान स्वयं उसकी सहायता के लिए आगे आते हैं।”
नरसी मेहता प्रसंग और भगवान की भक्त-रक्षा
उन्होंने नरसी मेहता के मायरा भरने के लिए अंजार नगर पहुँचने का प्रसंग सुनाते हुए बताया कि जब भगवान भक्त की डोर थाम लेते हैं, तो विपत्ति भी रास्ता बदल देती है।
भगवान कृष्ण द्वारा किशना खाती का रूप धारण कर नरसी मेहता की लाज रखने का दिव्य प्रसंग सुनकर श्रद्धालु भावविभोर हो उठे।
राम नाम जप में निष्ठा पर जोर
महाराज ने कहा कि हम राम-नाम का जप तो करते हैं, लेकिन मन इधर-उधर भटकता है।
“जब तक स्मरण पूर्ण निष्ठा और एकाग्रता से नहीं होगा, तब तक उसका प्रतिफल नहीं मिलेगा।”
एक-कुंडीय हवन में दी आहुतियां
कथा का शुभारंभ मुख्य यजमान रमेश कंवर–जसवंतसिंह राठौड़ दंपत्ति द्वारा व्यासपीठ पूजन से हुआ।
इससे पूर्व मंदिर परिसर में पंडित दिनकर महाराज के सान्निध्य में चल रहे एक-कुंडीय हवन में यजमानों ने आहुतियां दीं।
महाराज ने कहा—
“यज्ञ सृष्टि के संचालन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। जीवन चक्र इसी ऊर्जा से चलता है।”
भक्तों की उमड़ी भीड़
पूरे कार्यक्रम के दौरान बड़ी संख्या में महिला व पुरुष श्रद्धालु उपस्थित रहे।
इस अवसर पर सुमेरसिंह, मांगीलाल शर्मा, स्वरूपसिंह, मलूसिंह, जगदीशसिंह, सुलतानाराम, रामचंद्र प्रजापत, राजूसिंह, भैरूसिंह, नंदूसिंह, सवाईसिंह, घीसूसिंह, उदयभान, सूरजपाल, कर्णसिंह, उमाकांत शर्मा, बबलूसिंह, बच्चन सिंह सहित अनेक श्रद्धालु मौजूद रहे।