लोकसभा में संवेदनशील मुद्दा उठाया
चूरू सांसद राहुल कस्वां ने लोकसभा में नियम-377 के तहत प्रवासी भारतीयों से जुड़ा एक महत्वपूर्ण मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि चूरू और शेखावाटी क्षेत्र के हजारों लोग नौकरी और पढ़ाई के लिए विदेशों में रहते हैं।
विदेशों में असमय निधन से परिवार संकट में
सांसद ने उदाहरण देते हुए बताया कि हाल ही में नोहर के युवक धर्मेन्द्र बुरड़क का जर्मनी में हादसे में निधन हो गया। परिवार को पार्थिव देह लाने में 20 दिन का इंतजार और लाखों रुपये खर्च करना पड़ा, जिससे परिवार मानसिक और आर्थिक दोनों रूप से टूट गया।
खाड़ी देशों में और गंभीर हालात
कस्वां ने कहा कि खाड़ी देशों में तो स्थिति और भी गंभीर है। कई बार मृतक की देह को स्वदेश लाने में 6-6 महीने तक का समय लग जाता है। इससे परिवारों को गहरी पीड़ा होती है और धार्मिक रीति-रिवाजों में भी बाधा आती है।
फास्ट-ट्रैक मैकेनिज्म की मांग
सांसद कस्वां ने भारत सरकार से आग्रह किया कि विदेशों में ऐसे मामलों के लिए विशेष त्वरित सहायता तंत्र (Fast-Track Mechanism) बनाया जाए। इसमें भारतीय दूतावासों की जिम्मेदारी और संसाधन बढ़ाए जाएं ताकि पार्थिव देह को जल्द स्वदेश लाया जा सके।
आर्थिक मदद की आवश्यकता
उन्होंने यह भी मांग की कि आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों के लिए सरकार की ओर से वित्तीय सहायता की व्यवस्था की जाए, जिससे अंतिम संस्कार और अन्य प्रक्रियाओं में परिवार को राहत मिल सके।