रतनगढ़। शहर के श्री पंचमुखी बालाजी मंदिर में आयोजित श्रीराम कथा के चौथे दिन मंगलवार को कथा वाचक पंडित शंभुशरण लाटा ने भक्ति, संतों की शिक्षा और भगवान राम के आदर्शों पर भावपूर्ण प्रवचन दिया।
संतों की शिक्षा अपनाने का संदेश
पंडित लाटा ने कहा कि हम अक्सर साधु-संतों को मानते तो हैं, लेकिन उनकी अच्छी शिक्षाओं को जीवन में नहीं उतारते।
“यदि संतों की बातों को ग्रहण कर लें, तो हमारा जीवन धन्य हो जाएगा और संत भी प्रसन्न होंगे,” उन्होंने कहा।
उन्होंने बताया कि संतों के दर्शन मात्र से दुख दूर होते हैं और मन भगवान के भजन में रमने लगता है।
भक्ति मार्ग से ही भगवान की प्राप्ति
कथा वाचक ने कहा कि भगवान सर्व समर्थ हैं, भक्त जो मांगता है वही मिलता है, लेकिन इसके लिए भक्ति का मार्ग अपनाना जरूरी है।
उन्होंने जोर देते हुए कहा कि कथा श्रवण और संत सानिध्य से जीवन के मिथ्या भ्रम दूर होते हैं और मुक्ति का मार्ग प्रशस्त होता है।
राम चरित्र से जीवन सार्थक
पंडित लाटा ने कहा कि भजन में जो शांति और आनंद मिलता है, वह असीम है और यही जीवन भर साथ रहता है।
“जब हम भगवान राम के चरित्र के अनुरूप स्वयं को ढालने का प्रयास करेंगे, तभी जीवन सार्थक होगा,” उन्होंने कहा।
उन्होंने यह भी बताया कि मनुष्य जन्म पुण्य कर्मों से मिलता है और यह सीमित समय के लिए है, इसलिए इसका सदुपयोग आवश्यक है।
सीता स्वयंवर प्रसंग का वर्णन
मंगलवार की कथा में सीता स्वयंवर के प्रसंग पर विस्तार से प्रकाश डाला गया, जिसे सुनकर श्रद्धालु भावविभोर हो गए।
आयोजन में गणमान्यजन उपस्थित
कथा के प्रारंभ में मुख्य यजमान मंजू–पवन सेवदा एवं मधु–राजेंद्र बणसिया ने व्यासपीठ की पूजा-अर्चना की।
आयोजन समिति के अजय बणसिया ने आगंतुकों का आभार व्यक्त किया।
इस अवसर पर देवस्थान बोर्ड अध्यक्ष भंवरलाल पुजारी, पूर्व मंत्री राजकुमार रिणवां सहित अनेक जनप्रतिनिधि और बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित रहे।