रतनगढ़ (चूरू), रतनगढ़ कस्बे में करीब दो हजार दरगज भूमि को लेकर नगरपालिका व पंचायत समिति के बीच तनातनी एक बार फिर सतह पर आ गई है। दोनों विभाग इस भूमि पर मालिकाना हक का दावा कर रहे हैं, जबकि मामला 1993 से न्यायालय में विचाराधीन है और जिला कलेक्टर द्वारा यथास्थिति बनाए रखने के आदेश भी दिए जा चुके हैं।
नगरपालिका ने हटाए झाड़-झंखाड़
बीती रात नगरपालिका प्रशासन ने इस भूमि को समतल करवाते हुए झाड़ियों व कंकरों को हटवाया, जिससे ग्रामीणों में आक्रोश फैल गया। शनिवार सुबह जैसे ही इस बात की जानकारी पंचायत समिति को मिली, स्थानीय जनप्रतिनिधियों और ग्रामीणों ने पंचायत समिति परिसर में एकत्र होकर नारेबाजी की और नगरपालिका की कार्रवाई को अवैध करार दिया।
जनप्रतिनिधियों का आरोप
ग्रामीण जनप्रतिनिधियों का कहना है कि यह भूमि पंचायत समिति की है और नगरपालिका ने शनिवार-रविवार की छुट्टी का फायदा उठाते हुए रात के अंधेरे में निर्माण की तैयारी शुरू कर दी।
नगरपालिका ईओ की सफाई
इस संबंध में नगरपालिका ईओ डॉ. सहदेव चारण ने बताया कि
“विवादित भूमि पर नगरपालिका का हक है। वर्ष 2022 में हमने पंचायत समिति को बाउंड्री सीधी करवाने के लिए जमीन दी थी। अब वे पूरी जमीन पर अवैध कब्जा करने की कोशिश कर रहे हैं।”
उन्होंने यह भी कहा कि नगरपालिका यहां सरकारी आवासीय परियोजना विकसित करना चाहती है, जबकि पंचायत समिति भूमाफियाओं के साथ मिलकर अवरोध खड़ा कर रही है।
मामला कोर्ट में, फिर भी कार्रवाई सवालों में
गौरतलब है कि यह मामला तीन दशकों से न्यायालय में लंबित है और कलेक्टर ने स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि भूमि की यथास्थिति को नहीं बदला जाए। ऐसे में नगरपालिका द्वारा की गई रातों-रात कार्रवाई प्रशासनिक नियमों व कोर्ट के आदेशों पर भी प्रश्नचिह्न खड़े कर रही है।