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Churu News: 35 साल बाद रतनगढ़ कॉलेज को मिला असली नाम

Ratangarh government college renamed after 35 years of error

अब कॉलेज की मार्कशीट पर होगा सेठ मोहनलाल जालान का नाम

1990 में हुई थी स्थापना, नाम की गलती रही अनदेखी

रतनगढ़ (चूरू),वर्ष 1990 में स्थापित रतनगढ़ के पहले सरकारी कॉलेज को आखिरकार 35 साल बाद उसका सही नाम मिल गया है।

कॉलेज की स्थापना भामाशाह तोलाराम जालान द्वारा अपने पिता सेठ श्री मोहनलाल जालान की स्मृति में की गई थी। लेकिन एक लिपिकीय त्रुटि के कारण इसे अब तक केवल ‘राजकीय महाविद्यालय रतनगढ़’ के नाम से सरकारी दस्तावेज़ों में दर्ज किया गया।


भवन पर था सही नाम, पर दस्तावेजों में नहीं

इतने वर्षों में यहां से पढ़कर निकले सैकड़ों छात्रों की डिग्रियों और अंकतालिकाओं पर गलत नाम ही छपा।

केवल कॉलेज भवन पर ही “सेठ श्री मोहनलाल जालान राजकीय महाविद्यालय रतनगढ़” का सही नाम अंकित था, लेकिन शिक्षा विभाग, विश्वविद्यालय और यूजीसी के रिकॉर्ड में यह दर्ज नहीं था।


कैसे हुआ गलती का खुलासा?

प्रेरक राजीव उपाध्याय ने जब इंटरेक्टिव बोर्ड प्रोजेक्ट के तहत कॉलेज को बोर्ड देने की प्रक्रिया में भाग लिया, तब उन्हें यह गंभीर गलती पता चली।

उन्होंने यह जानकारी भामाशाह परिवार के वर्तमान प्रतिनिधि भरत जालान के साथ साझा की और तत्परता से सभी जरूरी दस्तावेज़ों सहित नाम-संशोधन की प्रक्रिया शुरू करवाई।


अब मिलेगा सही पहचान

कॉलेज आयुक्तालय के निर्देशों पर कॉलेज प्रशासन ने “राजकीय महाविद्यालय रतनगढ़” को अब “सेठ श्री मोहनलाल जालान राजकीय महाविद्यालय रतनगढ़” के नाम से आधिकारिक रूप से अनुमोदित कर दिया है।

अब इस नाम को विश्वविद्यालय, यूजीसी और अन्य विभागों में भी संशोधित किया जा रहा है।


भविष्य की डिग्रियों पर सही नाम

अब इस कॉलेज से निकलने वाले विद्यार्थियों की मार्कशीट, डिग्री एवं सभी शैक्षणिक प्रमाण पत्रों पर सही नाम अंकित होगा।

भविष्य में यह नाम न केवल कॉलेज की पहचान मजबूत करेगा, बल्कि भामाशाह परिवार के योगदान को भी सम्मानित करेगा।


भामाशाह परिवार ने जताया आभार

भरत जालान ने बताया,

यह नाम हमारी पारिवारिक भावना से जुड़ा है। यह त्रुटि किसी के ध्यान में नहीं थी, लेकिन जब राजीव उपाध्याय को जानकारी मिली तो उन्होंने तुरंत आवश्यक कार्रवाई करवाई।

उन्होंने उपाध्याय का आभार जताते हुए कहा कि यह कार्य पूरे समाज के लिए एक मिसाल है।