रतनगढ़ (चूरू), रविवार को अखिल भारतीय साहित्य परिषद के राष्ट्रीय सह संगठन मंत्री मनोज कुमार और राजस्थान के क्षेत्रीय संगठन मंत्री डॉ. विपिन बिहारी पाठक का रतनगढ़ प्रवास रहा। इस अवसर पर उन्होंने स्थानीय इकाई के दायित्व धारकों के साथ बैठक कर संगठन के क्रियाकलापों व साहित्यिक योगदान पर विस्तृत चर्चा की।
साहित्य सृजन और राष्ट्रीय भाव
बैठक में राष्ट्रीय भावनाओं को प्रोत्साहित करने वाले उत्तम साहित्य के निर्माण की आवश्यकता पर बल दिया गया। मनोज कुमार ने कहा:
“संघ शताब्दी वर्ष के अवसर पर साहित्यिक गोष्ठियों व पुस्तक पठन-पाठन को गांव-गांव तक पहुँचाना ज़रूरी है।”
उन्होंने कार्यकर्ताओं से मध्य प्रदेश के रीवा में नवंबर माह में होने वाले राष्ट्रीय अधिवेशन में भाग लेने का आग्रह भी किया।
मातृभाषा व क्षेत्रीय भाषाओं को जोड़ने का आह्वान
डॉ. विपिन बिहारी पाठक ने कहा कि हिंदी के साथ-साथ मारवाड़ी, सिंधी, पंजाबी जैसी भाषाओं के स्थानीय साहित्यकारों और मातृशक्ति को भी संगठन से जोड़ने की आवश्यकता है।
उन्होंने जोर देकर कहा:
“राष्ट्रीय विचारधारा को आगे बढ़ाने के लिए साहित्य को ही माध्यम बनाना होगा।”
संगठनात्मक प्रतिनिधि और अतिथि
कार्यक्रम में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के चूरू जिला प्रचार-प्रसार प्रमुख संजय शर्मा का भी सान्निध्य रहा।
साथ ही साहित्य परिषद रतनगढ़ इकाई के कार्यकर्ता भी उपस्थित रहे, जिनमें:
- वासुदेव चाकलान
- प्रो. कल्याण सिंह चारण
- दिलीप कुमार स्वामी
- प्रभात बील
- अरविन्द मिश्रा
- भानुप्रिया शर्मा आदि शामिल रहे।