NDA Success Story: कई बार ऐसा होता है मुश्किल परिस्थितियों में भी लोग इतिहास रच देते हैं। आज हम आपको मणिपुर के थोबल जिले के एक छोटे से गांव के ओक्रम के रहने वाले 24 साल के ज्ञानेश्वर सिंह की कहानी बताएंगे जिन्होंने वह कर दिखाया है जो आज तक किसी ने नहीं किया।
देहरादून के इंडियन मिलिट्री अकादमी से पासिंग आउट परेड में 491 के कैडेट्स के साथ उन्होंने भी कमीशन दिया और लेफ्टिनेंट बन गए। वह अपने गांव के पहले आर्मी अफसर है और यह सिर्फ उनकी नहीं बल्कि उनके पूरे गांव की जीत है।
ज्ञानेश्वर के सफलता की नींव सैनिक स्कूल में रखी गई। अपने सीनियर्स को देखकर उन्हें भी आर्मी जॉइन करने का जज्बा जगा और रात दिन मेहनत करके उन्होंने NDA एग्जाम को पास कर दिखाया और नेशनल डिफेंस एकेडमी में एंट्री ली। भले ही ज्ञानेश्वर एक छोटे से गांव के थे लेकिन उन्होंने मुश्किलों से लड़कर यह सपना पूरा किया।
ज्ञानेश्वर जब एनडीए ट्रेनिंग ले रहे थे उसे समय मणिपुर में हिंसा भड़क उठी। उनके जिले में हिंसा भड़क उठी थी यही वजह थी कि उनके परिवार की चिंता उन्हें सता रही थी हालांकि हफ्ते में सिर्फ एक बार फैमिली से बात करने की परमिशन थी। उसे समय उनके बैचमेट ने उनके साथ दिया ताकि वह ट्रेनिंग पर फोकस कर सके और मुश्किल वक्त में भी उन्होंने ट्रेनिंग किया।
पासिंग आउट प्लेट में उन्हें वर्दी में देखकर उनकी मां मिहेनबी देवी, ओक्रम वीरमणि सिंह और उनकी छोटी बहन ज्ञानेश्वरी रो दिए । उनकी मां और बहन का खुशी का ठिकाना नहीं रहा। इस दौरान ज्ञानेश्वर भी इमोशनल हो गए।