Aravali mountain ranges: अरावली धरती की वह पहाड़ी है जो लगभग 250 करोड़ साल से भी पुरानी है और यह रेगिस्तान को तपने से भी बचा रही है। देश के बड़े हिस्से में फैली यह पर्वतमाला सिर्फ पत्थरों का ढ़ेर नहीं है बल्कि उत्तर भारत के लिए एक सुरक्षा कवच भी है। लेकिन आज अवैध खनन शहरीकरण और लापरवाही के वजह से इसका अस्तित्व ही खतरे में आ चुका है।
विशेषज्ञों की माने तो अगर अरावली का अस्तित्व खत्म हुआ तो केवल भूगोल ही नहीं बदलेगा बल्कि पर्यावरणीय आपदा होगी जिससे करोड़ों लोगों का जिंदगी खत्म हो जाएगा। तो आईए जानते हैं अरावली खत्म हुआ तो क्या होगा।
रेगिस्तान में बदल जाएगा दिल्ली एनसीआर
अरावली एक प्राकृतिक दीवार के जैसे काम करती है जो थार रेगिस्तान के धूल भरी आंधियों और रेत को गंगा के मैदाने के तरफ बढ़ने से रुकती है। अरावली मिट गई तो रेगिस्तान की रेत तेजी से दिल्ली एनसीआर और राजस्थान के तरफ बढ़ेगी और पूरा राजस्थानी रेत का टीला बन जाएगा। राजस्थानी ही नहीं दिल्ली भी रेत का टीला अरावली के खत्म होने से बन जाएगा।
बूंद बूंद पानी के लिए तरसते लगेंगे लोग
अरावली वाटर रिचार्ज जोन के रूप में भी काम करती है इसकी पहाड़ियां घने जंगल बारिश के पानी को सोख कर जमीन के नीचे भेजते हैं। गुरुग्राम फरीदाबाद और दिल्ली जैसे शहरों का वाटर टेबल पहले से ही नीचे गिरा हुआ है ऐसे में अगर अरावली पहाड़ी नहीं रही तो उत्तर भारत के लोग बूंद बूंद के लिए तरसेंगे।
बढ़ेगा प्रदूषण और होगी जानलेवा गर्मी
अरावली को दिल्ली एनसीआर का फेफड़ा कहा जाता है। यहां के जंगल जहरीली हवा को सोख लेते हैं और ऑक्सीजन देते हैं। अरावली ना रहे तो प्रदूषण जान लेवा हो जाएगा जिसे कंट्रोल करना मुश्किल हो जाएगा।
अरावली ना रही तो सैकड़ो जंगली जानवर बेघर हो जाएंगे। इस हिंसक जानवर रिहाईसी इलाके में घुसेंगे जिससे इंसानों और जंगली जानवरों के बीच संघर्ष बढ़ जाएगा।