Jaisalmer Bus Fire: जैसलमेर में हुए बस अग्निकांड में कई परिवार उजड़ गए। राजस्थान के लावरण गांव में गुरुवार की शाम जब एक साथ एक ही परिवार के पांच लोगों का शव घर पहुंचा तो परिवार वाले रो-रो कर बेहोश हो रहे थे। जैसलमेर बस अग्निकांड में एक ही परिवार के महेंद्र मेघवाल पार्वती खुशबू दीक्षा दो बेटियां और पुत्र शौर्य का शव जैसे ही घर पहुंच परिजन बेसुध होकर गिर पड़े।
हर आदमी की आंखें रो रही थी और सांस मानो अटक गई हो। माँ रो रही थी और बहने चिल्ला रही थी भाई भी अपने आंसू नहीं रोक पा रहे थे।
मां गवरी देवी बार-बार अपने बेटे पोते और बहू को याद करके बेहोश हो जा रही थी। भाई जगदीश और अन्य लोग उन्हें संभालने की कोशिश कर रहे थे लेकिन दुख इतना गहरा था कि कोई भी खुद को नहीं संभाल पा रहा था। चारों तरफ रोने की आवाज सुनाई दे रही थी वही महेंद्र की बहने भी रो-रो कर बेहोश हो रही थी।
अंतिम यात्रा के दौरान महेंद्र की मां और बहनों की हालत काफी बिगड़ गई। चिकित्सकों की टीम ने उन्हें संभाला। दामाद बेटी और पार्वती के मायके वालों का भी रो रो कर बुरा हाल था। आसपास मौजूद अफसर भी रो रहे थे।
तीन दिन तक पूरे गांव में नहीं जला चूल्हा
पूरे गांव में इस घटना के बाद तीन दिन तक किसी के घर भी चूल्हा नहीं जला। महेंद्र मेघवाल जैसलमेर के भारतीय सेवा के आयुध डिपो में सुरक्षाकर्मी के तौर पर तैनात थे। वह छुट्टी में अपनी पत्नी और बच्चों के साथ दिवाली मनाने मां के पास घर आ रहे थे। जैसलमेर बस हादसे ने एक परिवार को उजाड़ दिया। सिर्फ महेंद्र ही नहीं बल्कि कई परिवार के बेटे बहू और बच्चे चले गए
इस दौरान क्षेत्रीय विधायक सांसद भी मौजूद थे। महेंद्र मेघवाल अमर रहे के नारों से गूंजते हुए पार्थिव शरीर को मुक्तिधाम ले जाया गया वहां उनके पूरे परिवार के साथ उनकी अंतिम संस्कार की गई। महेंद्र के घर में अब बस उनकी मां बची है।