जलभराव और जर्जर भवनों पर जिला प्रशासन सख्त
सीकर, जिला कलेक्टर मुकुल शर्मा ने भूतकालीन मानसूनी घटनाओं से सबक लेते हुए जिले के सभी विभागों को निर्देशित किया है कि अपने-अपने विभागों की कार्य योजना एक सप्ताह के भीतर तैयार कर प्रस्तुत करें।
इस कार्य योजना में पिछले वर्षाकाल में जलभराव और दुर्घटनाओं से जुड़े स्थल, वर्तमान स्थिति और भविष्य के समाधान का स्पष्ट उल्लेख होना अनिवार्य है।
जर्जर भवनों की सूची बने, सरकारी संस्थानों की हो विशेष जांच
कलेक्टर ने कहा कि मानसून से पहले ही पुराने व जर्जर भवनों की पहचान कर ली जाए। इन भवनों के संबंध में लोक निर्माण विभाग से संरचनात्मक प्रमाण-पत्र लेना अनिवार्य होगा।
स्कूलों, अस्पतालों, सामुदायिक भवनों व आंगनबाड़ी केन्द्रों में जहां जल भराव या छत टपकने की समस्या है, वहां स्थाई समाधान हेतु त्वरित कार्यवाही के निर्देश दिए गए हैं।
जनसमुदाय के लिए वैकल्पिक भवन सुनिश्चित करें
जहां कर्मचारी, छात्र या आमजन जर्जर भवनों में कार्यरत हैं, वहां वैकल्पिक सुरक्षित भवनों की व्यवस्था की जाए। साथ ही खतरनाक स्थलों पर चेतावनी बोर्ड लगाए जाएं और स्थानीय लोगों को भी जागरूक किया जाए।
हेल्पलाइन प्रचार और कंट्रोल रूम अलर्ट मोड पर
बाढ़ नियंत्रण कक्ष और कंट्रोल रूम नंबर सभी पंचायत भवनों, आंगनबाड़ी केन्द्रों, डिस्पेंसरियों की दीवारों पर चस्पा किए जाएंगे।
इन नंबरों का प्रचार समाचार पत्रों और सोशल मीडिया के माध्यम से व्यापक स्तर पर किया जाएगा। प्रशिक्षित स्टाफ की ड्यूटी कंट्रोल रूम में लगाने के निर्देश भी दिए गए हैं।
चिकित्सा विभाग और जनसंपर्क इकाई सतर्क
मानसून के दौरान मौसमी बीमारियों की संभावना को देखते हुए चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग को आवश्यक संसाधनों और स्टाफ सहित सतर्क रहने को कहा गया है।
सूचना एवं जनसंपर्क विभाग को प्रेस और सोशल मीडिया पर प्राप्त शिकायतों का संकलन कर संबंधित अधिकारियों तक पहुँचाने के निर्देश भी जारी किए गए हैं।
जनप्रतिनिधियों से समन्वय अनिवार्य
कलेक्टर ने कहा कि सभी विभाग स्थानीय सांसद, विधायक और जनप्रतिनिधियों से समन्वय कर उनके अनुभव व सुझावों को कार्य योजना में शामिल करें।
जल्द ही सभी विभागों से रिपोर्ट मंगवा कर जिला स्तरीय समीक्षा बैठक की जाएगी।