अजीतगढ़ (सीकर) | विमल इंदौरिया नवयुवक रामलीला नाट्य कला मंडल, अजीतगढ़ द्वारा चल रही रामलीला में रविवार का मंचन भावनाओं और अध्यात्म से परिपूर्ण रहा।
इस दिन भरत-राम मिलन और पंचवटी में श्रीराम का ठहराव जैसे प्रसिद्ध प्रसंगों का मंचन हुआ, जिसने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया।
भरत-राम मिलन: चित्रकूट पर हृदयस्पर्शी दृश्य
लीला में दिखाया गया कि अयोध्या नरेश दशरथ के निधन के बाद कुलगुरु वशिष्ठ ने भरत व शत्रुघ्न को ननिहाल से बुलाया।
भरत को राजगद्दी सौंपी गई, लेकिन उन्होंने राजसिंहासन त्यागकर श्रीराम को वापिस लाने का निर्णय लिया।
चित्रकूट पहुंचकर जब भरत ने प्रभु श्रीराम से मिलन किया, तो दर्शकों की आंखें नम हो गईं।
पंचवटी में श्रीराम का निवास
रामलीला में आगे दिखाया गया कि श्रीराम, लक्ष्मण और सीता लंकेश रावण की सीमा में पहुंचे, जहां लक्ष्मण ने पत्तों और फूलों से पंचवटी में एक पर्णकुटी का निर्माण किया।
यह दृश्य शांति, प्रेम और त्याग का प्रतीक बनकर दर्शकों को गहराई से छू गया।
कलाकारों की शानदार प्रस्तुति
मंडल के निर्देशक दिनेश गोविंद शर्मा ने बताया कि इस दिन निम्न कलाकारों ने अपनी भूमिकाएं निभाईं:
- राम – हेमंत पारीक
- लक्ष्मण – दिनेश बंसल
- सीता – अमित पारीक
- भरत – गौरव शर्मा
- शत्रुघ्न – रौनक माछुपुरिया
- वशिष्ठ / अगस्त्य – विमल इंदौरिया
- सुमंत – अरुण शर्मा
- मंथरा – सुंदर माछुपुरिया
- जयंता – भोलूराम बडसीवाल
दर्शकों से जुड़ाव
रामलीला समिति के अध्यक्ष विमल जोशी ने दर्शकों से रामकथा में निरंतर भागीदारी बनाए रखने का आग्रह किया।
उन्होंने कहा:
“यह हमारी सांस्कृतिक विरासत है, इसे जीवंत बनाए रखने में आप सभी की भागीदारी जरूरी है।”