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अरावली संरक्षण को लेकर कमूल एनजीओ का ज्ञापन, पीएम तक उठाई आवाज

Mool NGO submits memorandum for Aravali mountain range protection

नई परिभाषा से राजस्थान के भविष्य पर खतरे की चेतावनी

सीकर, राजस्थान। अरावली पर्वतमाला के संरक्षण को लेकर कमलादेवी जनसेवा संस्थान (रजि.) द्वारा संचालित कमूल एक सहारा एनजीओ ने बड़ा कदम उठाया है। एनजीओ ने इस संबंध में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, राजस्थान के राज्यपाल हरिभाऊ किसनराव बागडे एवं मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा को ऑनलाइन ज्ञापन भेजकर गंभीर चिंता जताई है।

अरावली की नई परिभाषा पर आपत्ति

ज्ञापन में मांग की गई है कि विकास के नाम पर विनाशकारी फैसले न लिए जाएं और राजस्थान की लाइफलाइन अरावली पर्वतमाला की प्रस्तावित नई परिभाषा को रद्द कर इसे पूर्व की भांति यथावत रखा जाए।

“अरावली राजस्थान की जीवन रेखा”

कमूल एनजीओ के अध्यक्ष डॉ. एस. के. फगेड़िया ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट से जुड़ी नई परिभाषा यदि लागू होती है, तो यह भविष्य में राजस्थान के लिए विनाशकारी साबित हो सकती है।
उन्होंने कहा—

“अरावली पर्वतमाला राजस्थान की आन-बान-शान ही नहीं, बल्कि जीवन रेखा भी है।”

संभावित दुष्परिणामों की चेतावनी

डॉ. फगेड़िया के अनुसार नई परिभाषा से—

  • अनियमित वर्षा
  • धूलभरी आंधियां
  • नदियों का सूखना
  • जंगलों का वीरान होना
  • पीने के पानी की भारी किल्लत
  • अत्यधिक गर्मी से जीव-जंतुओं की मृत्यु

जैसी समस्याएं बढ़ेंगी, जिससे वर्तमान खुशहाल राजस्थान का अस्तित्व खतरे में पड़ सकता है

ऊंचाई संबंधी बाध्यता हटाने की मांग

एनजीओ ने ज्ञापन में विशेष रूप से अरावली पर्वतमाला की ऊंचाई से जुड़ी बाध्यता को समाप्त करने और पर्वतमाला को उसके प्राकृतिक स्वरूप में संरक्षित रखने की मांग की है।

पर्यावरण संरक्षण की अपील

कमूल एनजीओ ने सरकार से अपील की है कि पर्यावरण संतुलन और आने वाली पीढ़ियों के भविष्य को ध्यान में रखते हुए अरावली पर्वतमाला के संरक्षण को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जाए।