सीकर। सीकर में गुरुवार को विशिष्ट न्यायिक मजिस्ट्रेट (एन.आई.) कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया।
कोर्ट की जज ऊषा प्रजापत ने चैक बाउंस के एक मामले में आरोपी को एक साल की जेल और 1.63 लाख रुपये का जुर्माना भरने की सजा सुनाई।
एक लाख का उधार, चैक बाउंस होने पर हुआ मुकदमा
एडवोकेट पुरुषोत्तम शर्मा ने बताया कि सीकर के सबलपुरा निवासी गजेंद्र सिंह और वार्ड नंबर-5 निवासी रियाज अली के बीच 1 लाख रुपये उधार देने का लेनदेन हुआ था।
कुछ समय बाद आरोपी ने रकम लौटाने के लिए गजेंद्र सिंह को 1 लाख रुपये का चैक दिया।
जब परिवादी ने चैक बैंक में जमा करवाया, तो खाते में पर्याप्त राशि नहीं होने के कारण चैक वापस लौट आया।
इसके बाद लीगल नोटिस भेजा गया, लेकिन आरोपी ने भुगतान नहीं किया।
अंततः परिवादी ने न्यायालय में परिवाद दायर किया।
अदालत ने दोषी मानते हुए सुनाई सजा
सुनवाई के दौरान दोनों पक्षों को सुनने के बाद न्यायालय ने आरोपी को एन.आई. एक्ट की धारा 138 के तहत दोषी पाया।
कोर्ट ने आरोपी को 1 वर्ष का सश्रम कारावास और 1 लाख 63 हजार रुपये का आर्थिक दंड चुकाने की सजा दी।
परिवादी की ओर से पेश हुए अधिवक्ता
इस मामले में परिवादी की ओर से एडवोकेट पुरुषोत्तम शर्मा, सुखदेव सिंह महला, शीशराम ढाका, संजय शर्मा ने पैरवी की।
अदालत ने कहा कि ऐसे मामलों में समय पर कार्रवाई से वित्तीय अनुशासन और नागरिक जिम्मेदारी को बल मिलेगा।
निष्कर्ष
सीकर कोर्ट का यह फैसला चैक बाउंस जैसे मामलों में एक कड़ा संदेश है कि
आर्थिक लेनदेन में लापरवाही या धोखाधड़ी करने वालों को सख्त सजा मिलेगी।