सीकर, सीकर जिले में बाल विवाह की रोकथाम के लिए चल रहे अभियान के तहत प्रशासन ने दो नाबालिग बच्चों का विवाह रुकवाकर एक मिसाल पेश की। यह कार्रवाई बाल अधिकारिता विभाग, पुलिस और गायत्री सेवा संस्थान के संयुक्त प्रयास से की गई।
100 दिवसीय राष्ट्रीय अभियान के दौरान बड़ी सफलता
बाल अधिकारिता विभाग की सहायक निदेशक डॉ. गार्गी शर्मा ने बताया कि 3 और 4 दिसंबर 2025 से भारत सरकार के महिला एवं बाल विकास मंत्रालय द्वारा 100 दिवसीय जन-जागरूकता कार्यक्रम की शुरुआत की गई है।
इसी क्रम में दादिया थाना क्षेत्र, धोद पंचायत में दो नाबालिगों के बाल विवाह की सूचना पर तुरंत कार्रवाई की गई।
गोठड़ा गाँव में 15 वर्षीय बालिका का बाल विवाह रुकवाया
डॉ. गार्गी शर्मा के निर्देशन में टीम गोठड़ा गांव पहुँची, जहाँ 15 वर्षीय नाबालिग का विवाह किया जा रहा था।
मौके पर पहुंचकर टीम ने विवाह रुकवाया और परिजनों को कानूनी प्रक्रिया एवं बाल अधिकारों के बारे में समझाइश दी।
कार्रवाई में उपस्थित रहे—
- दादिया थाना: हेड कॉन्स्टेबल रामस्वरूप, बीट अधिकारी सरिता
- गायत्री सेवा संस्थान: नरेश कुमार, अभिषेक बगड़िया, जितेंद्र नाथावतपुरा
- चाइल्डलाइन: राहुल (जिला समन्वयक), सुनीता सैनी (सुपरवाइजर), धर्मचंद गुर्जर (केस वर्कर)
“बाल विवाह कराना ही नहीं, सहयोग करना भी अपराध”
बाल अधिकार विशेषज्ञ एवं राजस्थान बाल आयोग के पूर्व सदस्य डॉ. शैलेंद्र पंड्या ने बाल विवाह कानून की जानकारी देते हुए कहा—
“बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम 2006 के तहत न सिर्फ बाल विवाह कराना, बल्कि उसमें सहयोग भी अपराध है।
पंडित, मौलवी, बैंड-बाजा, हलवाई, यहां तक कि बाराती भी दोषी पाए जाने पर सजा के पात्र हो सकते हैं।”
प्रदेश के लिए बना प्रेरणादायक उदाहरण
अधिकारियों ने कहा कि सीकर जिले में बाल विवाह को रोकने की यह कार्रवाई पूरे प्रदेश के लिए उदाहरण है।
प्रशासन ने भविष्य में भी ऐसे मामलों पर सख्त कार्रवाई करने का संकेत दिया है।