सेस नहीं जमा करने पर 24% ब्याज और 100% तक पेनल्टी संभव
सीकर। राज्य में भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार (श्रमिक) कल्याण उपकर अधिनियम, 1996 (BOCW) लागू है। इसके तहत 27 जुलाई 2009 के बाद बने सभी सरकारी, वाणिज्यिक और निजी (आवासीय) भवनों पर 1 प्रतिशत उपकर (सेस) देय है।
सहायक श्रम आयुक्त सीकर हितेश चौधरी ने बताया कि राजस्थान में वर्तमान में किसी भी प्रकार के निर्माण कार्य को उपकर से कोई छूट नहीं दी गई है।
किन भवनों को छूट, किन पर सेस लगेगा
- 10 लाख रुपये से कम लागत के केवल आवासीय भवन उपकर से मुक्त हैं।
- 10 लाख से अधिक लागत वाले आवासीय भवनों पर भी 1% सेस देय है।
- वाणिज्यिक भवनों पर किसी प्रकार की कोई छूट नहीं है।
निर्माण शुरू और पूरा होने की सूचना जरूरी
भवन निर्माण करने वाले मालिक या नियोजक को निर्माण शुरू करने की सूचना 30 दिन के भीतर श्रम विभाग को देना अनिवार्य है।
निर्माण पूरा होने या उपकर निर्धारण की तिथि से 30 दिवस के भीतर उपकर राशि जमा करानी होगी।
यदि कोई परियोजना एक वर्ष से अधिक चलती है, तो एक वर्ष पूरा होने के 30 दिन के अंदर उपकर जमा कराना आवश्यक है। नियोजक चाहे तो अनुमानित लागत के आधार पर अग्रिम सेस भी जमा कर सकता है।
सीकर में 596 से अधिक नोटिस जारी
सहायक श्रम आयुक्त ने बताया कि वित्तीय वर्ष 2025-26 के दौरान सीकर जिले में 596 से अधिक आवासीय व वाणिज्यिक निर्माण स्थलों के मालिकों व नियोजकों को सेस जमा कराने के लिए नोटिस जारी किए गए हैं।
समय पर राशि जमा नहीं करने पर प्रकरणों को वसूली के लिए जिला कलेक्टर को भेजा जाएगा। शुरुआती चरण में दस्तावेज और स्पष्टीकरण प्रस्तुत करने का अवसर दिया जा रहा है।
नहीं भरा सेस तो ब्याज, पेनल्टी और कुर्की
यदि नोटिस के बाद भी सेस जमा नहीं किया गया, तो श्रम विभाग स्वयं निर्माण लागत का निर्धारण कर एकतरफा आदेश जारी करेगा।
- सेस नहीं भरने पर 24% वार्षिक ब्याज लगेगा
- तय समय के बाद 100% तक पेनल्टी लग सकती है
- सेस, ब्याज और पेनल्टी नहीं देने पर कुर्की सहित वसूली की कार्रवाई होगी
नक्शा स्वीकृति पर जमा सेस भी पर्याप्त नहीं
यदि किसी निर्माणकर्ता ने नगर परिषद, नगरपालिका या UIT में नक्शा स्वीकृति के समय अनुमानित सेस जमा कराया है, तब भी अंतिम उपकर राशि सहायक श्रम आयुक्त कार्यालय, सीकर में जमा कराना अनिवार्य होगा।
श्रमिक कल्याण में होता है सेस का उपयोग
उपकर (सेस) से प्राप्त राशि का उपयोग राज्य में निर्माण श्रमिकों के लिए संचालित विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं पर किया जाता है।