पुराने वाहन, नई जान: सीकर के दिनेश बुरड़क ने कबाड़ बाइकों को बना दिया इलेक्ट्रिक व्हीकल
दांतारामगढ़ (सीकर)। जहाँ शहरों में ईवी तकनीक की बात होती है, वहीं सीकर जिले के चारणवास तूलिका गांव के युवा दिनेश कुमार बुरड़क ने यह कर दिखाया कि गाँवों से भी इनोवेशन की क्रांति संभव है।
दिनेश ने खराब पड़ी बाइक, कार और ट्रैक्टर को इलेक्ट्रिक वाहनों में बदल दिया है, वो भी बिना किसी बड़ी टीम, बजट या प्रोफेशनल ट्रेनिंग के। सिर्फ इंटरनेट, आईटीआई (इलेक्ट्रिकल) की पढ़ाई और अपने पिता नंदलाल बुरड़क के मार्गदर्शन से उन्होंने इस नवाचार को अंजाम दिया।
दिनेश के इनोवेशन की खास बातें:
- 2 बाइक, 2 कार और 1 ट्रैक्टर को किया इलेक्ट्रिक में तब्दील
- हर साल 1 लाख रुपये तक का ईंधन खर्च बचा रहे हैं
- पुराने कबाड़ वाहनों को मिली नई जान
- पर्यावरण के प्रति संवेदनशील और प्रदूषण रहित तकनीक
- स्थानीय संसाधनों और तकनीकी ज्ञान से तैयार किया मॉडल
ईंधन संकट के बीच स्थायी समाधान
दिनेश का कहना है,
“आज जब पेट्रोल-डीजल के दाम आसमान छू रहे हैं और प्रदूषण बढ़ रहा है, ऐसे में गाँवों के लिए इलेक्ट्रिक वाहन एक किफायती और टिकाऊ विकल्प हो सकते हैं।“
उनका यह नवाचार न केवल आर्थिक रूप से फायदेमंद है, बल्कि पर्यावरण संरक्षण की दिशा में भी एक प्रभावशाली कदम है।
प्रेरणा बना इंटरनेट, मार्गदर्शन मिला पिताजी से
दिनेश ने बताया,
“मैंने कोई खास ट्रेनिंग नहीं ली। जो कुछ भी सीखा, इंटरनेट से सीखा। पिताजी ने हमेशा हौसला बढ़ाया।“
उनका लक्ष्य है कि उनकी यह कहानी देश के उन युवाओं तक पहुँचे, जो सीमित संसाधनों में भी कुछ नया करने की ललक रखते हैं।
समाप्ति टिप्पणी:
दिनेश बुरड़क की यह पहल गाँवों में तकनीकी नवाचार की नई मिसाल है। यह दर्शाता है कि अगर इच्छा शक्ति हो, तो कम साधनों से भी बड़ा बदलाव लाया जा सकता है। दिनेश जैसे युवा भारत के भविष्य हैं, जो आत्मनिर्भर भारत की दिशा में ठोस कदम उठा रहे हैं।